ऑल इंडिया मुशायरा में राहत इंदौरी ने जमाया रंग, मुहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं…

धनबाद : ‘हम अपनी जान के दुश्मन को जान कहते हैं, मुहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं’. ‘भूलना भी है, जरूरी याद रखने के लिए-पास रहना है, तो थोड़ा दूर होना चाहिए’ और ‘हमारे पीर तमदीर ने कहा था मियां ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है’. मशहूर शायर राहत इंदौरी ने अपने शेरों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2018 6:38 AM
धनबाद : ‘हम अपनी जान के दुश्मन को जान कहते हैं, मुहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं’. ‘भूलना भी है, जरूरी याद रखने के लिए-पास रहना है, तो थोड़ा दूर होना चाहिए’ और ‘हमारे पीर तमदीर ने कहा था मियां ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है’. मशहूर शायर राहत इंदौरी ने अपने शेरों और नज्मों से रविवार को न्यू टाउन हॉल में समां बांध दिया.
इंडिगो क्लब की ओर से आयोजित ऑल इंडिया मुशायरा-सह-कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में राहत इंदौरी ने एक से बढ़ एक एक नज्म व शेर पेश किया. चार घंटे से भी अधिक देर तक शेरों-शायरी का दौर चलता रहा.
राहत इंदौरी के शेर ‘जो जुर्म करते हैं वे इतने बुरे नहीं होते, सजा न देकर अदालत उन्हें बिगाड़ देती है, नये अमीरों को दौलत बिगाड़ देती है’ पर खूब तालियां बजी. उन्होंने सुनाया-सफर में आखिरी पत्थर के बाद मजा आयेगा, मजा तो यारों दिसंबर के बाद आयेगा…जिधर से गुजरो, धुआं बिछा दो, जहां भी पहुंचो धमाल मचा दो. तुम्हें सियासत ने इजाजत दी है.
हरी जमीन को लाल कर दो. जिसे भी चाहे हराम कह दो, हलाल कर दो. कानून तुम्हारा है… अपने होने का हम इस तरह पता देते थे खाक मुट्ठी में उठाते थे उड़ा देते थे. उसकी महफ़िल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे, हम भी गूंगों की तरह हाथ उठा देते थे. अब मेरे हाल पे शर्मिंदा हुये हैं वो बुजुर्ग, जो मुझे फूलने-फलने की दुआ देते थे. अब से पहले के जो कातिल थे बहुत अच्छे थे, कत्ल से पहले वो पानी तो पिला देते थे…
जौहर कानपुरी, अभय बेबाक ने भी बटोरी वाहवाही
जौहर कानपुरी की शायरी पर लोगों ने खूब तालियां बजायी. आज नफरत के चिरागों को बुझा कर रख दो, काबे और काशी के झगड़ों को मिटा कर रख दो… कोई मेरी तबाही का शरयत नहीं लिख सकता, किसी का प्यार मां के प्यार जैसा नहीं हो सकता, मैं मर भी जाऊं तो ये धरती मां गोदी में रखती है, इतना प्यारा तो कोई गैर हो नहीं सकता.
रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी अभय उपाध्याय उर्फ अभय बेबाक ने कहा धनबाद के लोगों के लिए अब भी उनके दिलों में बहुत प्यार है. मजहब की दीवारें तोड़ी जायें… पर खूब वाहवाही मिली. मुशायरा में शायर शंकर कैमूरी, चोंच गयावी, परवेज आलम, इम्तियाज आलम तनवी, हसन इमाम, सुनील तन ने भी अपने नज्म पेश किये. मुशायरा के सदर की भूमिका राहत इंदौरी ने निभायी. संचालन फरदुल हसन ने किया.
सिंफर निदेशक, बार काउंसिल के सदस्य सम्मानित
इससे पहले समारोह की शुरुआत में सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य मनोज कुमार को सम्मानित किया गया. टुंडी के विधायक राजकिशोर महतो, धनबाद के डीआरएम अनिल मिश्र, कोंकण रेलवे के निदेशक (वित्त) मनोज दूबे ने दोनों को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया.
समारोह में सभी शायरों को भी सीनियर डीएफएम कुमार उदय, कोल एरिया मैनेजर आरके रौशन, इंडिगो क्लब के सचिव एसए रहमान ने सम्मानित किया. मुशायरा में डीसीए के महासचिव विनय सिंह, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधेश्याम गोस्वामी, बिल्डर राजेश सिंह, अनूप झा, सुनील अग्रवाल सहित कई सदस्य मौजूद थे.

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