80 लाख रुपये का पावर प्लांट गया कबाड़ में, बिजली तो कभी उत्पादित हुई नहीं, सामानों का भी अता-पता नहीं
धनबाद : राजेंद्र सरोवर (बेकारबांध) में 80 लाख रुपये की लागत से लगा पावर प्लांट कबाड़ में चला गया है. काई से बिजली उत्पादित करने के लिए लगी मशीन से एक यूनिट बिजली नहीं उत्पादित हुई. सौंदर्यीकरण केनाम पर प्लांट के उपस्कर कहां गये इसका ठीक-ठीक जवाब किसी के पास नहीं है. पांच वर्ष पहले […]
धनबाद : राजेंद्र सरोवर (बेकारबांध) में 80 लाख रुपये की लागत से लगा पावर प्लांट कबाड़ में चला गया है. काई से बिजली उत्पादित करने के लिए लगी मशीन से एक यूनिट बिजली नहीं उत्पादित हुई. सौंदर्यीकरण केनाम पर प्लांट के उपस्कर कहां गये इसका ठीक-ठीक जवाब किसी के पास नहीं है.
पांच वर्ष पहले लगा था प्लांट
केंद्र एवं राज्य सरकार ने इनोवेटिव योजना के तहत तालाब की काई से बिजली उत्पादन के लिए इस पावर प्लांट के लिए मंजूरी दी गयी थी. 22.02.2013 को जिला परिषद के तत्कालीन सीइओ सह डीडीसी रतन गुप्ता ने इस प्रोजेक्ट को लगाने के लिए केंद्रीय ईंधन एवं अनुसंधान संस्थान (सिंफर) को अनुमति दी थी. यहां प्रति माह एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य था.
इस बिजली से बेकारबांध के चारों तरफ स्ट्रीट लाइन जलाने तथा अन्य साधन में उपयोग की योजना थी. साथ ही यहां लगे बायो गैस प्लांट से उत्पादित होने वाले डीजल का उपयोग जिला प्रशासन के वाहनों तथा जेनरेटरों में उपयोग होना था. 20.06.2015 को इस प्लांट का उद्घाटन हुआ. लगभग दो माह बाद सिंफर ने 05 अगस्त 2015 को जिला परिषद को हैंड ओवर कर दिया था.
सौंदर्यीकरण में कबाड़ हुआ गायब
जिला परिषद तो कभी पावर प्लांट या बायो गैस से डीजल तो बना नहीं. बेकाम का प्लांट कबाड़ बन गया. उलटे इसके रख-रखाव पर जिला परिषद को प्रति माह 30 हजार रुपये खर्च करना पड़ता था. जब नगर निगम ने तालाब का सौंदर्यीकरण शुरू कराया तो पूरा उपस्कर को खोल कर जहां-तहां रख दिया गया.
आज जिला परिषद में कोई दावा के साथ नहीं बता पा रहा है कि आखिर प्लांट के सामान कहां गये. इसका सामान हटवाने वाले जिला परिषद के तत्कालीन कनीय अभियंता मो. परवेज रिटायर्ड हो चुके हैं. कोई कहता है कि कुछ सामान जिला परिषद के गोदाम तो कुछ पेयजल एवं स्वच्छता विभाग टू के परिसर में पड़ा है.
पावर बायो प्लांट के सामान को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग कार्यालय परिसर में रखवा दिया गया है. कुछ सामान जिला परिषद के गोदाम में है. इसको खुलवाने वाले कनीय अभियंता रिटायर हो चुके हैं. फिर से रिकॉर्ड तैयार कराया जा रहा है.
जितेंद्र पासवान, जिला अभियंता, जिला परिषद
सौंदर्यीकरण योजना के कारण प्लांट के सामानों को खुलवा कर निरीक्षण भवन में रखवा दिया गया है. प्लांट चलाने में तकनीकी अड़चन थी. यह जिला परिषद के लिए अनुपयोगी साबित हो चुका था.
रोबिन चंद्र गोरांई, अध्यक्ष, जिला परिषद