तीन वर्षों में मिले धनबाद में 1803 हृदय रोगी व 1128 लकवा के मरीज
मोहन गोप, धनबाद : कोयलांचल के लोग एक ओर जहां संचारित (छुआछूत) रोग से ग्रसित है, वहीं दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों से शहरीकरण व खानपान में बदलाव से लोग गैर-संचारित रोग (एनसीडी) की चपेट में तेजी से आ रहे हैं. इसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने सभी सिविल सर्जन को नन कम्युनिकेवल डिजीज […]
मोहन गोप, धनबाद : कोयलांचल के लोग एक ओर जहां संचारित (छुआछूत) रोग से ग्रसित है, वहीं दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों से शहरीकरण व खानपान में बदलाव से लोग गैर-संचारित रोग (एनसीडी) की चपेट में तेजी से आ रहे हैं. इसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने सभी सिविल सर्जन को नन कम्युनिकेवल डिजीज (एनसीडी) के तहत लोगों की स्क्रीनिंग तेज करने का निर्देश दिया है.
इसके साथ ही इससे पीड़ित लोगों को उचित परामर्श के साथ इलाज की व्यवस्था करने की बात कही है. वर्तमान में वयस्कों की मौत का सबसे बड़ा कारण नन कम्युनिकेवल डिजीज को माना जा रहा है. इस डिजीज के अंतर्गत मधुमेह, हाइपरटेंशन, ह्दय रोग, लकवा, कैंसर आते हैं. बता दें कि एनसीडी विभाग में पहले बीपी व सुगर की जांच होती थी. अब इसे एनपीसीडीसीएस कर दिया गया है, इसमें कैंसर, ह्दय रोग, लकवा को भी जोड़ दिया गया है.
एनपीसीडीसीएस विभाग में मरीजों की हो रही स्क्रीनिंग : धनबाद में भी तेजी से बढ़ रही शहरीकरण की यह बीमारी
तीन वर्षों में 20.5 लाख की जांच, लगातार बढ़ रहे मरीज
एनसीडी विभाग की ओर से वर्ष 2015-16 से 2018-19 तक 20.5 लाख मरीजों
की स्क्रीनिंग करायी गयी हैं. इसमें
सुगर के 18516, बीपी के 15724, ह्दय के 1803 व लकवा के 1128 मरीज मिल
रहे हैं. तीन वर्षों में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही हैं, उम्र दराजों के बीच
मौत का कारण अब यह बीमारियां हीबन रही हैं.
एनसीडी के तहत स्वास्थ्य केंद्रों, पीएमसीएच में नियमित जांच हो रही हैं. अब हृदय, कैंसर, स्ट्रोक आदि की भी स्क्रीनिंग इसमें जोड़ी गयी हैं. विभाग की ओर से लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
डॉ सी श्रीवास्तव, सीएस, धनबाद.
जानें संचारित व गैर संचारित रोगों के बारे में
संचारित रोग छुआछूत की बीमारी होती हैं. यह बीमारी समूहों में होती हैं. एक व्यक्ति के होने के बाद दूसरे में तेजी से फैलती हैं, जैसे टीबी, हैजा, प्लेग, स्वाइन फ्लू, जीका आदि. वहीं गैर संचारित रोग बिना छुआछूत की बीमारी होती है. इसमें संबंधित व्यक्ति के आहार व व्यवहार पर बीमारी निर्भर होती हैं. शारीरिक श्रम में कमी, घंटों तक बैठ कर काम करना या टीवी देखना. असंतुलित आहार लेना आदि शामिल है.
धनबाद है सबसे ज्यादा धनत्व वाला जिला
धनबाद झारखंड का सबसे ज्यादा धनत्व वाला जिला है, यही कारण है कि धनबाद में शहरीकरण तेजी हो रहा है. बड़ी आबादी शहरों में ही रह रही हैं. यहीं कारण है कि दिनचर्या से लेकर खानपान व वातावरण प्रभावित कर रहा हैं. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो गांवों में भी खानपान में बदलाव हुआ है. लेकिन शहर में लोग अधिकांश बाहली खाना व आलस्य जीवन जी रहे हैं. इन लोगों को शारीरिक श्रम, नियमित एक्सरसाइज, योगा, ध्यान आदि के लिए विभाग प्रचार-प्रसार कर रहा हैं.