धनबाद : शहर के 19 में से 16 स्वास्थ्य उप केंद्रों में बिजली-पानी नहीं, स्वास्थ्य सेवा बाधित
मोहन गोप, धनबाद : सरकार आम लोगों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का प्रयास करती है. घोषणाएं की जाती हैं. योजनाएं बनायी जाती हैं. बड़े-बड़े भवन बनाये जाते हैं. लेकिन उसके बाद? संसाधनों -चिकित्सकों की कमी, बदइंतजामियां और सरकारी लापरवाही के कारण आम लोग स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह जाते हैं. यह मामला भी कुछ इसी […]
मोहन गोप, धनबाद : सरकार आम लोगों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का प्रयास करती है. घोषणाएं की जाती हैं. योजनाएं बनायी जाती हैं. बड़े-बड़े भवन बनाये जाते हैं. लेकिन उसके बाद? संसाधनों -चिकित्सकों की कमी, बदइंतजामियां और सरकारी लापरवाही के कारण आम लोग स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह जाते हैं.
यह मामला भी कुछ इसी तरह का है. धनबाद प्रखंड (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) के कुल 19 स्वास्थ्य उप केंद्रों में से तीन में ही बिजली व पानी कनेक्शन मिला है. जबकि 16 केंद्रों आज भी बिजली व पानी का कनेक्शन नहीं हैं. एक केंद्र बनाने में सरकार ने लगभग 40 लाख रुपये खर्च किये हैं.
16 उप स्वास्थ्य केंद्रों के लिए लगभग 63 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये केंद्र वर्ष 2005 से लेकर 2017 के बीच केंद्र बनाये गये हैं. बगुला, कोलाकुसमा, गोधर, धैया केंद्र का अपना भवन नहीं है. सभी पंचायत भवन में हैं.
गोधर में दस वर्षों के बाद मिली बिजली
गोधर स्वास्थ्य उप केंद्र के लिए यह वर्ष सुखद रहा. लगभग दस वर्षों के बाद केंद्र का अपना बिजली कनेक्शन मिल पाया है. इससे पहले केंद्र में वैध कनेक्शन नहीं था. कार्यक्रम व कैंप लगने के दौरान बाहरी सहारा लेना पड़ता था. सामान्य दिनों में दूसरी जगहों से किसी तरह बिजली तार के सहारे कनेक्शन लिया जाता था. अधिकांश केंद्रों की कमोबेश इसी तरह की स्थिति रहती थी.
केंद्रों में कनेक्शन के लिए बिजली विभाग को आवेदन दिया था. लेकिन काम में काफी सुस्ती होने के कारण कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है. पानी का कनेक्शन नहीं मिल पाया है.
डॉ आलोक विश्वकर्मा, धनबाद सदर चिकित्सा प्रभारी.
सरकार ने केंद्र का भवन तो बनाया, लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं मिला
…जबकि धनबाद है पूर्ण विद्युतीकरण वाला जिला
यह स्थिति तब है जब सरकार ने हाल ही में धनबाद जिला को पूर्ण विद्युतीकरण वाला जिला घोषित किया है. लेकिन सरकार के सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विभाग में कई स्वास्थ्य केंद्र वर्षों से बिजली कनेक्शन से वंचित हैं. ऐसे में चिकित्सकीय सेवा प्रभावित होना लाजिमी है.
न चिकित्सक, न कर्मी, सामान भी हो रहे खराब
इन केंद्रों में प्रसव की सुविधा सहित अन्य इलाज के लिए वर्ष 2011-12 में सरकार ने एक करोड़ रुपये के कई उपकरण व सामान खरीदे थे. लेकिन बिजली नहीं रहने के कारण सामानों को दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया गया, वहीं कई सामान केंद्रों में पड़े खराब हो रहे हैं. फिर इन केंद्रों में नियमित चिकित्सक भी नहीं हैं.
कहीं बीसीसीएल, तो कहीं दूसरे भवन से ली थी बिजली
शहर के इन केंद्रों अवैध तरीके से ही बिजली जलती थी. कहीं पर बीसीसीएल की ओर से तो कहीं पर दूसरे घरों व भवनों से बिजली जलायी जा रही थी. अधिकांश केंद्रों में जुगाड़ से ही बिजली जलायी जाती थी. सूत्रों का कहना है कि निरीक्षण करने के वक्त यह बिजली हटा भी ली जाती थी. इसके बाद बिशनपुर, कारीटांड़, परसिया, बगुला, बसेरिया आदि जगहों में भवन निर्माण के दो वर्ष बाद भी बिजली नहीं आ पायी है.
हर केंद्रों में लेना है अपना कनेक्शन
भवन का निर्माण सरकार ने करा दिया, लेकिन इन केंद्रों को बिजली से जोड़ने का काम जिला स्वास्थ्य विभाग का था. लेकिन इसके लिए कोशिश नहीं हुई. हर केंद्र के लिए अलग-अलग बिजली कनेक्शन लेना है. इसके लिए मीटर भी अलग-अलग रहेगा. कई जगहों पर कनेक्शन के लिए आवेदन किया गया, तो बिजली विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया.