जैसे ऊंट के मुंह में जीरा, वैसे पांचवे दिन शहर को पानी
आज से स्थिति में सुधार होने की उम्मीद धनबाद : शहर में पांचवें दिन मंगलवार को जलापूर्ति शुरू की गयी. 19 जलमीनारों में 14 से सप्लाइ की गयी. जबकि पांच सूखे ही रह गये. लेकिन जहां-जहां पानी मिला उनमें से कई क्षेत्र के लोगों की शिकायत है कि पानी थोड़ा और गंदा था. उम्मीद की […]
आज से स्थिति में सुधार होने की उम्मीद
धनबाद : शहर में पांचवें दिन मंगलवार को जलापूर्ति शुरू की गयी. 19 जलमीनारों में 14 से सप्लाइ की गयी. जबकि पांच सूखे ही रह गये. लेकिन जहां-जहां पानी मिला उनमें से कई क्षेत्र के लोगों की शिकायत है कि पानी थोड़ा और गंदा था. उम्मीद की जाती है कि बुधवार से पहले की तरह जलापूर्ति होगी. एक या दो दिन बाद. मैथन में 7.5 एमवीए का ट्रांसफॉर्मर खराब होने के कारण शहर में पिछले चार दिनों से जलापूर्ति ठप था. भीषण गर्मी में शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा था. आज पांच जलमीनार से जुड़े इलाकों में पानी नहीं पहुंचने के कारण स्थिति और भयावह हो गयी है.
मैथन में ट्रांसफॉर्मर बदले जाने के बाद वहां से सोमवार की रात पानी भेजा जाने लगा. भेलाटांड़ ट्रीटमेंट प्लांट से सुबह नौ बजे जलापूर्ति की प्रक्रिया शुरू की गयी. इधर नल खुलने की जानकारी मिलते ही लोगों के चेहरे खिल गये. लेकिन पानी भरने नलों पर पहुंचे तो गंदा पानी आने की जानकारी मिली. कुछ देर के बाद पानी साफ होना शुरू हुआ लेकिन तबतक पानी का प्रेशर कम हो गया. बमुश्किल लोगों को चार से छह गैलन साफ पानी मिला. यह समस्या हीरापुर, मटकुरिया, धनसार आदि इलाकों की रही.
दूरी वाले इलाकों में नहीं पहुंचा पानी : जलापूर्ति पाइप सूखे होने के कारण जलमीनार से सप्लाइ होने के बावजूद अंतिम छोर वाले इलाकों तक पानी कब आया और कब बंद हुआ इसकी जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं मिली. झरना पाड़ा, अजंतापाड़ा, डुमरियाटांड़, टिकिया पाड़ा, धोबाटांड़, शास्त्री नगर, अशोक नगर, विकास नगर, तेलीपाड़ा, डोमपाड़ा, जेसी मल्लिक रोड, तेलीपाड़ा आदि इलाकों के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी.
पानी आने का इंतजार करते रह गए लोग : सुबह होने के साथ ही लोग पानी सप्लाइ की जानकारी लेने के लिए कॉल सेंटर में फोन करने लगे. लोगों को पानी मिलने की जानकारी दी गयी. लेकिन पांच जलमीनार से जुड़े क्षेत्रों में रात तक पानी नहीं पहुंचा. पानी की किल्लत दूर करने के लिए किसी ने बोतलबंद पानी खरीदा तो किसी ने टैंकर से पानी मंगाया. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का दिन पानी की व्यवस्था करने में ही बीत गया.