सिविल जज की परीक्षा में एक सवाल पर प्रश्न चिह्न्, धनबाद की परीक्षार्थी जया ने उठाया सवाल

धनबाद/रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की प्रारंभिक परीक्षा 27 अप्रैल 2014 को ली गयी थी. इस परीक्षा में एक सवाल व आयोग द्वारा जारी उत्तर पर पुलिस लाइन हीरापुर निवासी परीक्षार्थी जया कुमारी (अधिवक्ता) ने प्रश्न चिह्न् खड़ा किया है. जया ने प्रभात खबर को प्रेषित पत्र में कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2014 9:53 AM

धनबाद/रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन की प्रारंभिक परीक्षा 27 अप्रैल 2014 को ली गयी थी. इस परीक्षा में एक सवाल व आयोग द्वारा जारी उत्तर पर पुलिस लाइन हीरापुर निवासी परीक्षार्थी जया कुमारी (अधिवक्ता) ने प्रश्न चिह्न् खड़ा किया है.

जया ने प्रभात खबर को प्रेषित पत्र में कहा है कि झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा 27 अप्रैल 2014 को सिविल जन जूनियर डिविजन प्रारंभिक परीक्षा ली गयी थी. इसमें सामान्य ज्ञान से एक प्रश्न संख्या 17 (बुकलेट सीरीज ए) में पूछा गया कि जूल इकाई है (ए) तापमान का (बी) दबाव का (सी) ऊर्जा का (डी) उष्मा का. इसमें केवल उर्जा को सही जवाब माना गया है, जबकि भौतिकी की एसआइ पद्धति के अनुसार देखें तो ऊर्जा और उष्मा दोनों का मात्रक जूल होता है और दोनों ही सही जवाब हैं.लेकिन जेपीएससी ने उष्मा को सीजीएस पद्धति के अनुसार कैलोरी मानते हुए इस प्रश्न का गलत जवाब करार दिया और ऊर्जा को एसआइ पद्धति के अनुसार सही ठहराया है.

ऐसे में सवाल उठता है कि एक ही प्रश्न में एक ऑप्शन को एसआइ पद्धति के अनुसार मानना और दूसरे को सीजीएस पद्धति के अनुसार मानना कहां तक सही है. सभी को एसआइ पद्धति या फिर सीजीएस पद्धति के अनुसार माना जाना चाहिए. जबकि आयोग का कहना है कि विशेषज्ञ के अनुसार यही सही है. आयोग ने आपत्ति जताने की तिथि 26 जुलाई 2014 निर्धारित करने के बावजूद मुख्य परीक्षा 19 व 20 जुलाई को लेने का निर्णय लिया है. जेपीएससी की इस मनमानी से मेरे जैसे कई ऐसे परीक्षार्थी आहत हैं, जो 100 में 78 अंक लाने के बावजूद एक नंबर से अयोग्य घोषित कर दिये गये हैं.

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