धनबाद में बढ़ीं साइबर अपराध की घटनाएं

धनबाद : केंदुआ निवासी बीसीसीएल कर्मी रामजी ठाकुर से दो जून को साइबर ठगों ने डेढ़ लाख रुपये की ठगी कर ली. कोल कर्मी की गाढ़ी कमाई पलक झपकते चली गयी. वे बैंक से लेकर थाना तक की दौड़ लगाये, किंतु उनका पैसा नहीं मिला. ऊपर से मांसिक और शारीरिक परेशानी हुई, वह अलग है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2019 3:03 AM

धनबाद : केंदुआ निवासी बीसीसीएल कर्मी रामजी ठाकुर से दो जून को साइबर ठगों ने डेढ़ लाख रुपये की ठगी कर ली. कोल कर्मी की गाढ़ी कमाई पलक झपकते चली गयी. वे बैंक से लेकर थाना तक की दौड़ लगाये, किंतु उनका पैसा नहीं मिला. ऊपर से मांसिक और शारीरिक परेशानी हुई, वह अलग है. रामजी ठाकुर जैसे धनबाद कोयलांचल में दर्जनों लोग हैं, जो साइबर ठगों की बाजीगरी के शिकार हो चुके हैं. तमाम सरकारी दावों के उलट इन्हें कहीं से किसी प्रकार की राहत नहीं मिली.

दरअसल, हाल के वर्षों में धनबाद जिले में ऑनलाइन व एटीएम के जरिये फ्राॅड की घटनाएं बढ़ी हैं. धनबाद पुलिस साइबर अपराध पर लगाम लगाने में अक्षम साबित हो रही है. पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो इस वर्ष जनवरी से लेकर जून महीने तक 70 लोग साइबर अपराधियों से ठगे जा चुके हैं. अपराधियों ने इनसे 50 लाख रुपये से अधिक की राशि ठग ली. अब तो ये साइबर अपराधी पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके हैं. इस वर्ष पुलिस ने 12 साइबर अपराधियों को पकड़ कर जेल भेजा. बावजूद अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. टुंडी, मनियाडीह, जामताड़ा और गिरिडीह के साइबर अपराधी अपने घरों में बैठे-बैठे लोगों को निशाना बना रहे हैं.
असल में क्‍लोन एटीएम कार्ड के जरिये बैंक ग्राहकों के पैसे बिना उनकी जानकारी में खाते से निकाल लिये जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप एटीएम से रुपये निकालने जा रहे हैं, तो सतर्क हो जाइये. यदि एटीएम मशीन खराब हो या कोई दूसरा व्यक्ति रुपये निकालने को कहे तो उसे अपना एटीएम कार्ड कतई न दें. संभव है, वह व्यक्ति आपका बैंक बैलेंस पूरी तरह बिगाड़ दे. क्‍लोन एटीएम कार्ड से खाता खाली करने वाला गिरोह ज्‍यादातर सुनसान इलाकों में मौजूद एटीएम को अपना निशाना बनाते हैं. पहले एटीएम मशीन के कार्ड स्वैपिंग स्लॉट पर एक विशेष मैग्नेटिक डिवाइस लगा दी जाती है.
यह डिवाइस एटीएम कार्ड के बारकोड और चिप की सारी इंफॉर्मेशन को कॉपी कर लेती है. साथ ही डिवाइस में कार्ड का ब्लूप्रिंट तैयार हो जाता है. इसके अलावा एटीएम मशीन के कीपैड को सीपीयू और कार्ड रीडर से जोड़कर भी एटीएम की क्लोनिंग की जाती है. इसके बाद सॉफ्टवेयर की मदद से एटीएम का क्लोन तैयार कर लिया जाता है. पहले साइबर अपराधी ओटीपी नंबर पूछकर लोगों से ठगी करते थे. मगर अब इन्होंने अपना तरीका काफी हद तक बदला है.

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