प्रभात खबर टाेली, धनबाद
धनबाद जिले में बड़े पैमाने पर नदियाें से बालू का खनन हाे रहा है. उसकी तस्करी हाे रही है. बालू के खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल (एनजीटी) की राेक ताे है ही, जिला प्रशासन ने भी पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने पर पिछले एक साल से बालू के खनन पर राेक लगा दी है. हालांकि, अब जिला प्रशासन कह रहा है, बालू तस्कराें पर कार्रवाई हाेगी. उन पर प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.
धनबाद जिले में 23 बड़े बालू घाट हैं. इनकी बंदोबस्ती के लिए वर्ष 2018 में खनन विभाग द्वारा नीलामी करायी गयी थी. इसमें से 11 घाटों की ही नीलामी हो पायी थी. इन 11 घाटों में से आठ को ही पर्यावरण क्लीयरेंस (इसी) मिल पाया था. बाद में इन घाटों की पर्यावरण स्वीकृति पर भी रोक लगा दी गयी. हालत यह है कि पिछले एक वर्ष से धनबाद में अवैध खननवाले बालू से ही काम चल रहा है.
कोयलांचल के हर घाट से रोज बड़े पैमाने पर बालू निकासी होती है. यह काम दिन के उजाले में डंके की चोट पर होता है. जहां डिमांड करें, वहीं आपको बालू पहुंच जायेगा. रेट जरूर ज्यादा लगेगा. शहर के गोल बिल्डिंग मोड़ के पास 24 घंटे बालू उपलब्ध रहता है. यहां बालू लदे ट्रकों का रेला लगा रहता है.
बलियापुर-हीरक रोड में बालू का स्टॉक किया जाता है. वहां से 407, टेंपो में भरकर बालू को गंतव्य स्थलों पर भेजा जाता है. जहां बड़े ट्रक से आपूर्ति संभव है, वहां ट्रक से बालू भेजा जाता है. इस धंधे में दर्जनों लोग शामिल हैं. गंतव्य स्थल तक बालू पहुंचाने की जिम्मेदारी इनकी होती है.
बारिश आते ही महंगा हुआ बालू
मॉनसून के दस्तक देते ही कोयलांचल में बालू के रेट में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो गयी है. जून में यहां बालू 15-16 रुपये सीएफटी बिक रहा था. अभी यह रेट 20-21 रुपये सीएफटी चल रहा है. दूरी के हिसाब से यह रेट बदल भी जाता है. सरायढेला इलाके में एक 407 बालू लदे ट्रक की कीमत लगभग 2000 रुपये है, जबकि बेकारबांध इलाके में इसकी कीमत 2600 रुपये हो जाती है. ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर रेट बढ़ते रहता है.
धनबाद जिले में दामोदर, बराकर नदी के टुंडी, भौंरा, तेलमच्चो, पंचेत, बराकर के तट सहित अन्य स्थानों पर बालू घाट से सुबह होते ही बालू निकालने का काम शुरू हो जाता है. जिस नदी में पानी ज्यादा है, वहां नाव में बालू भर किनारे लाया जाता है. नदी किनारे से ट्रैक्टर, ट्रक के जरिये बालू को जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लाया जाता है. इसके लिए बालू माफियाओं के सिंडिकेट ने अलग-अलग लोगों को जिम्मेदारी दी हुई है. संबंधित थाना क्षेत्र में भी मामला सेट रहता है.
नाम के लिए होती है छापामारी
बालू के अवैध खनन को रोकने के नाम पर खनन विभाग बीच-बीच में छापामारी करता है. ऊपर से दबाव पड़ने पर कुछ घाटों से दो-चार ट्रैक्टर बालू पकड़कर थाना को सौंप दिया जाता है. कभी-कभी एक-दो वाहन चालकों पर मुकदमा भी हो जाता है.
तस्करों पर नामजद मुकदमा होगा
धनबाद के उपायुक्त अमित कुमार कहते हैं कि सभी घाटों पर बालू के दोहन पर रोक है. केवल स्टॉकिस्ट को ही बालू बेचने की अनुमति है. इसके बावजूद नदियों से बालू खनन व बिक्री करनेवालों पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.