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जहां खेत नहीं वहां डोभा, जहां आबादी नहीं वहां बना दिया कुआं, 100 मीटर की परिधि में आधा दर्जन डोभा

संजीव झा धनबाद : जहां खेत नहीं वहां खुदवा दिया डोभा. जहां आबादी नहीं वहां बना दिया कुआं. वह भी कोल बियरिंग एरिया में. जबकि घनी आबादी वाले क्षेत्र में कुआं के नाम पर चार वर्ष से 10 फीट का गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है. बावजूद इसके कंचनपुर के मुखिया कहते हैं कि कोई […]

संजीव झा

धनबाद : जहां खेत नहीं वहां खुदवा दिया डोभा. जहां आबादी नहीं वहां बना दिया कुआं. वह भी कोल बियरिंग एरिया में. जबकि घनी आबादी वाले क्षेत्र में कुआं के नाम पर चार वर्ष से 10 फीट का गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है. बावजूद इसके कंचनपुर के मुखिया कहते हैं कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. सब सरकारी कर्मचारियों की देखरेख में हुआ है.

जी हां. यही असलियत है, बाघमारा प्रखंड के कंचनपुर पंचायत की. यहां विकास के नाम पर लूट की खुली छूट है. नियमों को ताक पर रखकर यहां टारगेट पूरा करने के लिए जैसे-तैसे काम करके केवल राशि निकासी हो रही है. कंचनपुर पंचायत के रामपुर गांव में 100 मीटर की परिधि में एक ही मौजा में आधा दर्जन डोभा खोद दिया गया है. जिस स्थान पर डोभा की खुदाई हुई है, वहां खेती नहीं होती.

ग्रामीणों के अनुसार, यहां जमीन के नीचे कोयले का भंडार होने की बात कही जा रही है. बीसीसीएल इस स्थान पर कोल प्रोजेक्ट शुरू करने वाला है. इसी स्थान से कुछ दूर पर ही मनरेगा से एक बड़े कुआं की खुदाई हुई है. इसके दो-ढाई सौ मीटर की परिधि में कोई घर नहीं है. यहां तो कई लाभुकों को यह भी पता नहीं कि उनकी जमीन पर डोभा मंजूर हुआ है और कुछ स्थानों पर खुदाई भी हो गयी है.

कागज पर ही बन गये कई डोभा

‘प्रभात खबर’ की टीम जब पंचायत में गयी, तो पता चला कि वहां बमुश्किल 15 डोभा ही खुदा है. 37 डोभा की राशि उठा ली गयी है. जिस स्थान पर एक साथ आधा दर्जन डोभा खुदा है, वहां भी नियमों का पालन नहीं किया गया है. सब अलग-अलग साइज का. डोभा खोदने वाले कहते हैं कि समय बीत जाने के कारण कुछ डोभा पुराने साइज में नहीं रह पाये हैं. मिट्टी बह गयी है.

तीन वर्षों में नहीं हो सकी एक कुआं की खुदाई

रामपुर पोस्ट ऑफिस के समीप वर्ष 2016 में मनरेगा से एक कुआं की खुदाई शुरू हुई. आज तक लगभग 10 फुट की खुदाई हुई है. तीन वर्षों में एक कुआं नहीं बन पाने से लोगों में आक्रोश है. कहते हैं कि इस गड्ढा के कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. रात में भी लोग यहां खुले में शौच जाते हैं. लोगों ने खुद उस गड्ढे को घेर दिया है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

" मेरे एवं मेरे भाई हेमंत सरकार की जमीन पर डोभा खोद दिया गया. इसकी जानकारी हमलोगों को बाद में मिली. कभी डोभा के लिए न तो आवेदन दिया, न ही कोई चेक या किसी तरह की कोई सरकारी चिठ्ठी मिली. बाद में विरोध किया, तो डोभा खोदने वाले दबंग ठेकेदारों ने धमकाना शुरू कर दिया. कहते हैं डोभा खुद गया. शांत रहो.

श्रीमंत सरकार, लाभुक

" वर्ष 2016 में पानी की समस्या को देखते हुए यहां मनरेगा से कुआं मंजूर हुआ था. कुछ दिन बाद यहां काम शुरू हुआ. दो-तीन दिन की खुदाई के बाद ठेकेदार गायब हो गया. आज भी यह गड्ढा उसी तरह बेकार पड़ा हुआ है, जबकि यहां एक चापाकल तक नहीं है.

उदय राय, ग्रामीण

" डोभा खुदाई में गड़बड़ी नहीं हुई है. 37 डोभा की खुदाई हुई है. अलग-अलग स्थानों पर डोभा बनाये गये हैं. सरकारी कर्मियों की देख-रेख में ही सारे काम हुए हैं.

सीताराम भुइयां, मुखिया, कंचनपुर

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