भाषा बनी दीवार, अपनों को ढूंढ़ रही कातर निगाहें

धनबाद: अपनों से बिछड़ने का गम, लोगों से सवाल पूछतीं निगाहें. कोशिश की किसी तरह अपने घर लौट जायें, लेकिन भाषा की दीवार इतनी बेबस करने वाली होगी, यह सपने में भी नहीं सोचा होगा. ऊपर से सरकारी विभागों के कामकाज के तरीकों ने रही सही कसर पूरी कर दी है. बात हो रही है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2014 10:40 AM

धनबाद: अपनों से बिछड़ने का गम, लोगों से सवाल पूछतीं निगाहें. कोशिश की किसी तरह अपने घर लौट जायें, लेकिन भाषा की दीवार इतनी बेबस करने वाली होगी, यह सपने में भी नहीं सोचा होगा.

ऊपर से सरकारी विभागों के कामकाज के तरीकों ने रही सही कसर पूरी कर दी है. बात हो रही है पीएमसीएच की फीमेल वार्ड में भरती विशाखापट्टनम की रहने वाली एसके ज्योति की. ज्योति तेलगू बोलती है. वह हिंदी न जानती है, न समझती है. जबकि अस्पताल के लोग न तेलगू जानते हैं, न समझते हैं. इससे समस्या और भी विकट हो गयी है.

चाइल्ड लाइन ने रखने से इनकार किया : युवती को तीन दिन पहले पुराना बाजार से स्थानीय पुलिस ने बरामद किया था. फिर इसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया. इधर, चाइल्ड लाइन की नीता सिन्हा ने बताया कि चूंकि युवती की उम्र 18 वर्ष है, इसलिए यह मामला मेरे क्षेत्रधिकार में नहीं आता है. इसके लिए महिला थाना को सौंप दिया गया है. वहां से युवती को 22 जुलाई को पीएमसीएच में भरती करा दिया गया है. हालांकि नीता सिन्हा ने बताया कि महिला थाना को वो सहयोग करती रहेंगी.

बुलाया तेलुगू भाषी कांस्टेबल को

युवती की भाषा को लेकर पुलिस लाइन से आंध्र प्रदेश के रहने वाले एक कांस्टेबल को बुलाया गया. कांस्टेबल ने आकर युवती से अपनी भाषा में बातचीत की. इसके बाद पता चला कि युवती के पिता का नाम राजू है, वह विशाखापट्टनम के विजाग गांव की रहने वाली है. उनके परिजनों का कोई फोन नंबर नहीं मिला. युवती ने बताया कि गलती से दूसरे ट्रेन में चढ़ गयी, जिससे वह धनबाद चली आयी.

महिला पुलिस तैनात

युवती की तबीयत फिलहाल खराब है, इस कारण उसे पीएमसीएच में भरती कराया गया है. उसके साथ एक महिला पुलिस को तैनात किया गया है. वार्ड में हिंदी भाषी क्षेत्र होने के कारण युवती किसी से बातचीत नहीं कर पा रही है. लेकिन इशारे से कुछ बताने की कोशिश करते रहती है.

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