मेसर्स देवप्रभा काे ब्लैकलिस्ट करने पर सीवीसी करें फैसला

धनबाद : आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देवप्रभा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैकलिस्ट करने पर अब सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) फैसला करेंगे. झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है. आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देव प्रभा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एससी मिश्रा व न्यायमूर्ति दीपक रोशन ने खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2019 2:39 AM

धनबाद : आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देवप्रभा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैकलिस्ट करने पर अब सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) फैसला करेंगे. झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है. आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देव प्रभा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एससी मिश्रा व न्यायमूर्ति दीपक रोशन ने खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस पर सीवीसी निर्धारित समय में अंतिम फैसला लें. इस बीच बीसीसीएल द्वारा जारी री-टेंडर या फ्रेस टेंडर में आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देव प्रभा भाग ले सकेगी.

कोर्ट ने आउटसोर्सिंग कंपनी को आदेश के दो सप्ताह के भीतर बीसीसीएल के शो-कॉज का जवाब देने को कहा है. वहीं आउटसोर्सिंग कंपनी का जवाब मिलने के पश्चात बीसीसीएल को सारे दस्तावेज सीवीसी को सौंपने को कहा गया है, ताकि वह आगे की कार्यवाही कर सके. आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देवप्रभा से धनबाद के दबंग ठेकेदार एलबी सिंह के भाई कुंभनाथ सिंह कंपनी में निदेशक हैं.

नोटिस का जवाब नहीं दिया : आराेप है कि 2205 करोड़ रुपये के आउटसोर्सिंग कार्य के लिए मेसर्स देव प्रभा ने गलत क्रेडेंशियल वर्क सर्टिफिकेट जमा किया. इस पर बीसीसीएल ने सर्टिफिकेट जारी करनेवाले दो जीएम को चार्जशीट थमाया. फिर 13 जून को बीसीसीएल ने आउटसाेर्सिंग कंपनी को शो-कॉज जारी किया. पूछा, गलत सर्टिफिकेट जमा करने के लिए उनकी कंपनी (देव प्रभा) को ब्लैकलिस्ट क्यों न किया जाये? इधर बीसीसीएल के नोटिस का जवाब देने के बजाय आउटसोर्सिंग कंपनी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. सिंगल बेंच से राहत न मिलने पर मामला डबल बेंच में गया. इस पर नाै अगस्त को कोर्ट ने फैसला दे दिया.
रद्द हाे चुका है टेंडर : 2018 में बीसीसीएल के बस्ताकोला एरिया के शिमला बहाल में आउटसोर्सिंग के माध्यम से ओवर बर्डेन (ओबी), कोयला खनन व ट्रांसपोर्टिंग कार्य के लिए बीसीसीएल द्वारा 2205 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था. बिडिंग में आठ आउटसोर्सिंग कंपनियों ने हिस्सा लिया था. रिवर्स इ-ऑक्शन में 2415.40 करोड़ रुपये (टेंडर राशि से 9.52 प्रतिशत अधिक) की बोली लगा आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स देव प्रभा एल-वन हुई थी. हालांकि टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद बीसीसीएल ने 28 अक्तूबर, 2018 को ही टेंडर कैंसिल कर दिया था.

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