अशोक कुमार
2014 और 2009 में 60 साल से अधिक सात-सात प्रत्याशी ही बन सके थे विधायक
धनबाद : 60 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग चुनावी दंगल में कमजोर होते जा रहे हैं. पिछले दो चुनावों में बुजुर्ग प्रत्याशियों को युवा उम्मीदवार लगातार धूल चटा रहे हैं. दोनों ही चुनावों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के केवल सात-सात प्रत्याशी ही विधायक चुने गये थे.
वर्ष 2014 में 12 और 2009 में नौ बुजुर्ग प्रत्याशियों को युवाओं से सीधे मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा है. 2014 के चुनाव में 19 सीटों पर बुजुर्ग प्रत्याशियों की युवा उम्मीदवारों से सीधी भिड़ंत हुई थी. इसमें 12 सीटों पर युवा प्रत्याशियों ने 60 या उससे अधिक उम्र वाले प्रत्याशियों को हरा दिया था. सात सीटों पर 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के प्रत्याशी जीत पाये थे.
उस चुनाव में दो सीट ऐसे थे, जहां 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के प्रत्याशियों में ही मुकाबले था. उस मुकाबले भी कम उम्र के ही प्रत्याशी जीते थे.2009 के चुनाव में 18 सीटों पर 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के प्रत्याशी सीधे मुकाबले में थे. दो सीटों पर बुजुर्ग प्रत्याशी ही आमने-सामने थे. नौ सीटों पर मुकाबले में बुजुर्ग उम्मीदवार युवा प्रत्याशियों से हार गये थे. सात बुजुर्गों ने युवाओं काे मात देकर जीत का स्वाद चखा.
बुजुर्गों से राजनीतिक दल भी कर रहे किनारा
बुजुर्ग प्रत्याशियों से अब राजनीतिक दल भी परहेज करने लगे हैं. 2014 में झामुमो ने 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के केवल सात प्रत्याशियों को ही टिकट दिया था. 2005 में भाजपा-आजसू गठबंधन से 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के केवल 10 प्रत्याशी थे. उस चुनाव में एक भी उम्मीदवार 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र का नहीं था. सबसे ज्यादा 28 उम्मीदवार 40 से 50 वर्ष के थे. वहीं 50 से 60 वर्ष के 22 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. शेष प्रत्याशी 40 वर्ष से कम आयु के थे.
गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 56 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 11 पर बुजुर्गों को उम्मीदवार बनाया था. उनमें से दो प्रत्याशियों की उम्र 70 वर्ष से अधिक थी. पार्टी के 14 प्रत्याशियों की उम्र 50-60 के बीच थी. 23 प्रत्याशी 40-50 वर्ष के बीच थे. शेष 40 वर्ष से कम उम्र के प्रत्याशी थे.