कोल इंडिया में निदेशकों की नियुक्ति पर लगी रोक

एसइसीएल के जीएम (लीगल) की याचिका पर छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट का आदेश याचिकाकर्ता का दावा : परीक्षा एवं साक्षात्कार केंद्रों की वीडियोग्राफी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन, मेरी अयोग्यता का सबूत दिया जाये धनबाद : छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट, बिलासपुर ने गत दो जनवरी को दिये एक आदेश में कोल इंडिया में निदेशकों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2020 2:08 AM

एसइसीएल के जीएम (लीगल) की याचिका पर छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट का आदेश

याचिकाकर्ता का दावा : परीक्षा एवं साक्षात्कार केंद्रों की वीडियोग्राफी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन, मेरी अयोग्यता का सबूत दिया जाये

धनबाद : छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट, बिलासपुर ने गत दो जनवरी को दिये एक आदेश में कोल इंडिया में निदेशकों की नियुक्ति पर अगली सुनवाई होने तक रोक लगा दी है. न्यायाधीश जस्टिस गौतम भादुड़ी ने आवेदन संख्या 10800 /2019 की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. कोर्ट के इस आदेश के बाद यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नये चैयरमैन का नियुक्ति पत्र कोयला मंत्रालय जारी करेगा?

क्योंकि चैयरमैन पद पर भी निदेशक ग्रेड वन की ही नियुक्ति होती है. वर्तमान चेयरमैन एके झा 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं. उनकी जगह पर आइएएस प्रमोद कुमार अग्रवाल का चयन सार्वजनिक उद्योग चयन बोर्ड ने गत 27 अगस्त को किया था.

क्या है मामला

एसइसीएल के जीएम (लीगल) कुमार राजीव रंजन निदेशकों के कई इंटरव्यू में शरीक हुए, पर सफल नहीं हो सके. उन्होंने दिसंबर 2019 को छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की. अपनी याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के छह अप्रैल 2018 के दिए उस आदेश का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि सार्वजिनक पदों पर चयन के दौरान चयन निकायों, राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य चयन बोर्ड द्वारा परीक्षा केंद्रों एवं साक्षात्कार केंद्रों की वीडियोग्राफी करवानी चाहिए.

सीसीटीवी कैमरे लगवाने चाहिए. तीन सदस्यीय स्वतंत्र कमेटी इन फुटेज को देखे और इस कमेटी की रिपोर्ट संबंधित वेबसाइट पर रखी जाये, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है.

चुनिंदा तरीके से चयन किया जा रहा है. श्री रंजन ने कोर्ट से गुहार लगायी कि मैं अयोग्य था, इसका सबूत दिया जाये और जिनका चयन हुआ उनकी योग्यता का सबूत दिया जाये. इस पर केंद्र सरकार की ओर से सहायक सॉलिसिटर जेनरल बी गोपा कुमार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. जस्टिस गौतम भादुड़ी ने चार सप्ताह के बाद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

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