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बीसीसीएलकर्मी 46,019 उत्पादन 10.86 एमटी, पढ़ें यह खास रिपोर्ट

मनोहर/ एस कुमारधनबाद : बीसीसीएल के कर्मचारियों की वर्तमान संख्या 46,019 है, जबकि आउटसोर्सिंग मजदूरों (अनुबंधित कर्मी) की संख्या करीब 4682 के आसपास है. पर आउटसोर्सिंग मजदूर बीसीसीएल के स्थायी मजदूरों-कर्मियों की तुलना में कई गुणा ज्यादा कोयला उत्पादन कर रहे हैं. वित्तीय वर्ष (2018-19) में 42.40 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले बीसीसीएल ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2020 11:30 AM

मनोहर/ एस कुमार
धनबाद :
बीसीसीएल के कर्मचारियों की वर्तमान संख्या 46,019 है, जबकि आउटसोर्सिंग मजदूरों (अनुबंधित कर्मी) की संख्या करीब 4682 के आसपास है. पर आउटसोर्सिंग मजदूर बीसीसीएल के स्थायी मजदूरों-कर्मियों की तुलना में कई गुणा ज्यादा कोयला उत्पादन कर रहे हैं. वित्तीय वर्ष (2018-19) में 42.40 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले बीसीसीएल ने कुल 31.03 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है.

इसमें 0.89 मिलियन टन कोयले का उत्पादन अंडरग्राउंड और 30.12 मिलियन टन विभागीय व आउटसोर्सिंग ओपेन कास्ट माइंस से हुआ है. इसमें ओपेनकास्ट माइंस से 9.96 मिलियन टन विभागीय कर्मचारियाें ने उत्पादन किया है, जबकि 20.18 मिलियन टन कोयले का उत्पादन आउटसोर्सिंग मजदूरों ने किया है. अगर हम आकड़ों पर गौर करें, तो बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग परियोजनाओं (अनुबंधित खनन) से करीब 60 से 70 फीसदी उत्पादन हो रहा है. यह अलग बात है कि आउटसोर्सिग मजदूरों का स्थायीकरण तो दूर, हाइपावर कमेटी की अनुशंसा के मुताबिक भी उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है. मेडिकल सहित अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं.

मैनपावर मेें कमी, उत्पादन में बढ़ोतरी : आउटसोर्सिंग के कारण साल दर साल बीसीसीएल के मैनपावर में आयी भारी कमी के बावजूद कोयला के उत्पादन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है. आउटसोर्सिंग के आ जाने के बाद कंपनी की उत्पादन क्षमता में साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है. बीसीसीएल ने वित्त वर्ष 1974-75 में 17.74 मिलियन टन, 1984-85 में 21.84 मिलियन टन और 2004-05 में 22.31 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था. 2008-09 में यह आंकड़ा 25.31 मिलियन टन और 2010-11 में 29 मिलियन टन था. वित्तीय वर्ष (2018-19) में उत्पादन का आकड़ा बढ़ कर 31.03 मिलियन टन पहुंच गया है. हालांकि वित्तीय वर्ष 2013-14 में 32.61 मिलियन टन, 2014-15 में 34.51 मिलियन टन और 2017-18 में 32.61 मिलियन टन कोयले का उत्पादन बीसीसीएल ने किया था.

सालाना 4500 करोड़ खर्च : आउटसोर्सिंग मजदूरों के मुकाबले बीसीसीएल कर्मी हाइपेड हैं. यानी उनकी पगार अधिक है, वहीं उत्पादन में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के बावजूद आउटसोर्सिंग में काम करनेवालों मजदूरों को आठ हजार, 12 हजार और 15 हजार रुपया वेतन मिल रहा है. दूसरी ओर बीसीसीएलकर्मियों को प्रतिमाह 50-60 हजार से अधिक वेतन मिल रहा है. सूत्राें के मुताबिक एक वित्तीय वर्ष में बीसीसीएल करीब करीब 4500 करोड़ रुपये कर्मचारियाें, अधिकारियों के वेतन व अन्य मद में खर्च करती है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में अप्रैल से दिसंबर माह, यानी नौ माह में करीब 4047.99 करोड़ रुपये सिर्फ कंपनी के कर्मियों (मजदूर, कर्मचारी व अधिकारी) के पारिश्रमिक एवं अन्य लाभ देने पर खर्च हुए हैं, जो कुल व्यय का 50 प्रतिशत से भी अधिक है. वहीं आउटसोर्सिंग मजदूरों पर औसतन प्रतिमाह 10 करोड़ और सालाना 120 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.

2004 में हुई थी आउटसोर्सिंग की शुरुआत
साल 2004 में तत्कालीन सीएमडी पीएस भट्टाचार्य ने आउटसोर्सिंग की शुरुआत करायी. तब यूनियनों ने इसका विरोध किया. पर सिर्फ दिखावे के लियेे. प्रखर वाम चिंतक व पूर्व सांसद स्व एके राय ने तब इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल वीकली में एक आलेख में आउटसोर्सिंग को निजीकरण का मार्ग बताया था. आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 से विभगीय श्रमशक्ति एवं उनके द्वारा उत्पादन लगातार कम होता जा रहा है और आउटसोर्स से उत्पादन बढ़ता जा रहा है. लोकसभा में कोयला मंत्री ने 4 दिसंबर, 2019 को एक सवाल के जवाब में बताया था कि एक नवंबर 2019 तक बीसीसीएल में ठेका मजदूरों की संख्या 4682 है.

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