धनबाद : ग्रामीण क्षेत्र में पहली बार प्लास्टिक वेस्ट से बनी 22 किमी लंबी सड़क, दो चरणों में हुआ निर्माण

धनबाद जिले में पहली बार दो ग्रामीण सड़कों का निर्माण प्लास्टिक वेस्ट मेटेरियल से हुआ है. चारकोल (अलकतरा) में मिला कर तैयार की गयी इन सड़कों की गुणवत्ता की जांच केंद्रीय टीम ने की है

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 29, 2024 8:33 PM

धनबाद जिले में पहली बार दो ग्रामीण सड़कों का निर्माण प्लास्टिक वेस्ट मेटेरियल से हुआ है. चारकोल (अलकतरा) में प्लास्टिक मिला कर तैयार की गयी इन सड़कों की गुणवत्ता की जांच केंद्रीय टीम ने की है, जिसमें दोनों ही सड़कों का स्ट्रेंथ सही पाया गया है.

दोनों ही सड़कों का निर्माण प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की निधि से किया गया है. बताते चलें कि प्लास्टिक युक्त ब्लैक टॉप सड़क की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी साबित हो रही है. इससे सड़कों का स्ट्रेंथ बढ़ता है. साथ ही जलजमाव एवं वर्षा जल से भी सड़कों की रक्षा भी होती है.

  • राजगंज के मानटांड़ से श्यामडीह तक 14 किमी व टुंडी के लोधरिया मोड़ से शहरपुरा तक आठ किमी सड़क तैयार
  • केंद्रीय टीम की जांच में पास हुईं दोनों सड़कें, लागत में आयेगी 15 फीसदी तक की कमी

जानें योजना के बारे में

भारत में ब्लैक टॉप सड़क निर्माण कार्य में सिंगल यूज प्लास्टिक का चलन बढ़ा है. झारखंड में इसका प्रयोग पहली बार जमशेदपुर में हुआ. धनबाद जिला में ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत दो सड़कों का चयन किया गया. इसमें जीटी रोड के किनारे राजगंज के मानटांड़ से तोपचांची प्रखंड के श्यामडीह तक 14 किमी लंबी सड़क बनायी गयी है. इसकी लागत खर्च 14 करोड़ रुपये आयी है.

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इसी तरह टुंडी प्रखंड के लोधरिया मोड़ से शहरपुरा तक आठ किमी सड़क भी बन कर तैयार है. इसपर आठ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. दोनों ही सड़कों में 60 फीसदी से अधिक चारकोल तथा शेष प्लास्टिक को उपयोग हुआ है. प्लास्टिक में भी रद्दी में फेंके गये सिंगल प्लास्टिक है.

प्लास्टिक वेस्ट से बनीं दोनों सड़कों का निर्माण रिकॉर्ड समय में किया गया है. गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जल्द ही ग्रामीण क्षेत्र की कुछ अन्य महत्वपूर्ण सड़कों का काम भी प्लास्टिक युक्त मेटेरियल से किया जायेगा. इससे प्रदूषण में कमी आयेगी. साथ ही लागत खर्च में भी कमी आने की संभावना है. गंगापुर से बस्ती कुल्ही रोड के निर्माण में भी क्वालिटी का ध्यान रखा गया है.

मनोज कुमार, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग

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