धनबाद: शब्दों के हेरफेर ने माडाकर्मियों की आशा पर पानी फेर दिया. कुछ माह पूर्व माडा प्रबंधन ने अपनी उदारता का परिचय देते हुए आदेश जारी किया था कि अप्रैल 2013 में संस्थान से सेवानिवृत्त कर्मियों को खाली हाथ नहीं जाना पड़ेगा. उनकी सेवानिवृत्ति के पहले दिन दो माह का एक मुश्त वेतन मिलेगा. 20-20 माह वेतन बकाया रहने वाले कर्मियों के लिए यह एक राहत की खबर थी. आदेश से कर्मी काफी भी खुश थे, लेकिन पहले भुगतान के बाद लोचा आ गया.
क्या है लोचा : जारी आदेश में लिखा गया है कि – अप्रैल ‘में’ यह लागू होगा, जबकि लिखा जाना चाहिए था कि अप्रैल ‘से’ यह लागू होगा. त्रुटिवश या चालबाजी से लिखा गया इस शब्द का फायदा अब प्रबंधन उठा रहा है. आदेश के अनुरूप योजना बंद कर दी गयी. जबकि प्रबंधन का तर्क है कि सब कुछ पत्र के अनुसार ही हो रहा है.
क्यों आयी नौबत : आदेश के समय आधा दर्जन कर्मी ही लाभान्वित हुए थे, जबकि इस बार पचास से अधिक हैं. आलम यह है कि इस माह फंड के अभाव में वेतन के भी लाले पड़े हैं. ऐसे में प्रबंधन सोच रहा है कि चलो शब्दजाल से तो बला टली, क्यों नाहक में त्रुटि को संशोधित करने का जोखिम मोल लें.