फोटो -रश्मि सिन्हा-टीफ धनबाद में….बचपन की दीपावलीधनबाद. हमारे बचपन की दीपावली बहुत सुहानी हुआ करती थी. बचपन की दीपावली याद कर आज भी रोमांचित होती हूं. पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी. दीपावली का इंतजार बेसब्री से करती थी. घर की साफ सफाई में मां का हाथ बंटाती और ढेर सारे पटाखे की डिमांड करती. बहनों के साथ मिलकर घरौंदा बनाती. उसे सजाती. घरौंदा द्वार बड़ा बनाती, ताकि मां लक्ष्मी उसके अंदर आराम से प्रवेश कर सकें. दीपावली के एक दिन पहले पापा के साथ जाकर पटाखे खरीदती थी. पापा ने जो दिला दिया उसके बाद फरमाइशी पटाखों की मांग होती. दीपावली के दिन सुबह जल्दी जगते थे. लहसुनिया बम के धमाके के साथ शुरू हो जाती थी हमारी दीपावली. संध्या होते होते पूरे घर में दीये की कतार जगमगा उठते थे. भाई बहन एवं हमउम्र दोस्तों के साथ खूब धमा-चौकड़ी मचाते. संध्या समय पूजा होने का इंतजार करते. पूजा के बाद ही पटाखे जलाने को मिलते थे. पूजा खत्म होने के साथ हमारी खुशियां प्रारंभ हो जाती थी. अब तो बस रस्म निभाने के लिए मनाती हूं दीपावली. पूजा करती हूं और बचपन की दीपावली याद कर खुश होती हूं.रश्मि सिन्हा, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी धनबाद.
बम के धमाके से होती थी दीपावली की शुरुआत
फोटो -रश्मि सिन्हा-टीफ धनबाद में….बचपन की दीपावलीधनबाद. हमारे बचपन की दीपावली बहुत सुहानी हुआ करती थी. बचपन की दीपावली याद कर आज भी रोमांचित होती हूं. पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी. दीपावली का इंतजार बेसब्री से करती थी. घर की साफ सफाई में मां का हाथ बंटाती और ढेर सारे पटाखे की डिमांड […]
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