संतुष्टि के अभाव से गर्त में जाता है मानव : पुरुषोत्तमाचार्य

फोटोसिंदरी. श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक श्रीश्री 1008 स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने श्रद्धालुओं को भागवत कथा का अमृत पान कराते हुए कहा कि संतुष्टि का अभाव होने से गर्त की प्राप्ति होती है. छठे राज सूय यज्ञ के प्रसंग का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि राजसूय यज्ञ में दुर्योधन को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2014 11:04 PM

फोटोसिंदरी. श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक श्रीश्री 1008 स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने श्रद्धालुओं को भागवत कथा का अमृत पान कराते हुए कहा कि संतुष्टि का अभाव होने से गर्त की प्राप्ति होती है. छठे राज सूय यज्ञ के प्रसंग का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि राजसूय यज्ञ में दुर्योधन को बहुत ही जलन हो गयी थी. जलन क्यों हुई, ऐसा प्रश्न परीक्षित महाराज ने श्री शुकदेव भगवान से किया. यज्ञ सुंदर ढंग से संपन्न हो गया, किंतु युधिष्ठिर के वैभव और द्रौपदी के दिव्य सौंदर्य को किसी तरह से प्राप्त करने की ईर्ष्या ने दुर्योधन को गर्त में गिरा दिया. मनुष्य स्वयं तो प्रयत्न नहीं करता, किंतु संसार की किसी भी वस्तु को प्राप्त करना चाहता है. संतुष्टि का अभाव होने से मनुष्य को गर्त में गिरना ही पड़ता है. श्रीमद्भागवत की पूर्णाहुति गुरुवार को हवन एवं भंडारा के साथ होगी. आयोजनकर्ता एसएन शर्मा, श्रीमती रंजना शर्मा, अजय कुमार, एचएन शर्मा, वत्य जी, विनोद कुमार, भोला सिंह आदि सहयोगी है.

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