रिसर्च के जरिये शिक्षक बनाये अपनी पहचान : खन्ना

विभावि में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर महत्वपूर्ण कार्यशाला में जुटे देश के प्रसिद्ध शिक्षाविद् धनबाद. क्या पढ़ाना है, कितना पढ़ाना है तथा कैसे पढ़ाना है. अगर ये तीन गुण किसी शिक्षक के अंदर हैं तभी वह सफल शिक्षक है. ये बातें एआइसीटीइ के पूर्व चेयरमैन प्रो एसके खन्ना ने कही. वह शनिवार को विभावि के सीबी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2014 11:02 PM

विभावि में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर महत्वपूर्ण कार्यशाला में जुटे देश के प्रसिद्ध शिक्षाविद् धनबाद. क्या पढ़ाना है, कितना पढ़ाना है तथा कैसे पढ़ाना है. अगर ये तीन गुण किसी शिक्षक के अंदर हैं तभी वह सफल शिक्षक है. ये बातें एआइसीटीइ के पूर्व चेयरमैन प्रो एसके खन्ना ने कही. वह शनिवार को विभावि के सीबी रमन भवन के आर्यभट्ट सभागार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर क्रॉस कटिंग इश्यू ऑफ इंस्टीट्यूशनल एंड एकेडमिक केपेसिटी डेवलपमेंट विषयक कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि शिक्षक का मतलब केवल क्लास में पढ़ाना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय व विश्व स्तर पर रिसर्च के जरिये अपनी पहचान भी बनाना है. यह भी जरूरी है कि रोल मॉडल के आधार पर आपने सोसाइटी को क्या दिया. दिल्ली अमेटी विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड इनोवेशन के निदेशक प्रो बीबी धर ने विकसित विवि की कार्यशैली पर प्रकाश डाला. आइएसएम मैनेजमेंट स्टडी विभाग के प्रो. प्रमोद पाठक ने क्वालिटी एजुकेशन के लिए प्लान -वे में पढ़ाई पर जोर दिया. बताया कि तमाम आधुनिक प्रणाली के बाद भी चॉक एंड टॉक का अपना महत्व है. कुलपति डॉ गुरदीप सिंह ने विषय वस्तु पर प्रकाश डाला. प्रतिकुलपति डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने एकेडमिक क्वालिटी सुधार के लिए थ्री डी फैक्ट पर अपने विचार रखे. कार्यशाला को पूर्व कुलपति एमपी सिंह, सीआरपीएफ कमांडेंट एमके सिंह, प्रो इएम सिद्दीकी सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया. संचालन प्रो अभय सिन्हा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो अनवर ने किया.

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