चुप्प किए छी राजू यौ, कनियो किछु तऽ बाजू यौ…

20 बोक 63 – साहित्यलोक की मासिक रचना गोष्ठी मंे रचना पाठ करते व उपस्थित साहित्यकार- मैथिली साहित्यिक संस्था ‘साहित्यलोक’ की मासिक रचना गोष्ठी वरीय संवाददाता, बोकारोमैथिली साहित्यिक संस्था ‘साहित्यलोक’ की मासिक रचना गोष्ठी गुरुवार को हिंदी साहित्यकार कुमार मनीष अरविंद के सेक्टर 5 स्थित आवास पर हुई. पटना से पधारे मैथिली के वरिष्ठ कथाकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2014 9:03 PM

20 बोक 63 – साहित्यलोक की मासिक रचना गोष्ठी मंे रचना पाठ करते व उपस्थित साहित्यकार- मैथिली साहित्यिक संस्था ‘साहित्यलोक’ की मासिक रचना गोष्ठी वरीय संवाददाता, बोकारोमैथिली साहित्यिक संस्था ‘साहित्यलोक’ की मासिक रचना गोष्ठी गुरुवार को हिंदी साहित्यकार कुमार मनीष अरविंद के सेक्टर 5 स्थित आवास पर हुई. पटना से पधारे मैथिली के वरिष्ठ कथाकार अशोक ने अध्यक्षता व साहित्यलोक के संस्थापक महासचिव तुला नन्द मिश्र ने संचालन किया. शुरुआत गीतकार विनय कुमार मिश्र की सरस्वती वंदना प्रबल प्रेम मन हृदय… से हुई. भुटकुन झा ने मिथिला वर्णन चुप्प किए छी राजू यौ, कनियो किछु तऽ बाजू यौ़…, सुनील मोहन ठाकुर ने ‘भूख’, राजीव कंठ ने ‘अल्लाह भगवान’ कविता सुनायी. विजय शंकर मल्लिक ने ‘बारू दिबारी’, हरि मोहन झा ने मैथिली व्यंग्य कविता, सतीश चंद्र झा ने ‘ड्राइंग रूम में लाफिंग बुद्घा’ शीर्षक कविता, कुमार मनीष अरविंद ने ‘मतदाता गीत’, अमन कुमार झा ने मैथिली नाटक ‘सेनुर बिन अहिबाती के’ एकटा दृश्य, डॉ.संतोष कुमार झा ने व्यंग्य प्रधान कहानी ‘अतिथि देवो भव’, श्याम दरिहरे ने बदलते परिवेश मंे ग्राम्य जीवन के यथार्थ पर आधारित कहानी ‘एकटा गामक आत्महत्या’ व कथाकार अशोक ने प्रेम व मानवीय संवेदना से ओत-प्रोत मैथिली कहानी ‘छुट्टीक एक दिन’ का पाठ किया.

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