चिकित्सकों को प्रशिक्षण: शिशु मृत्यु दर रोकेगी पेंटावेलेंट वैक्सिन
धनबाद: जनवरी से धनबाद के बच्चों को पेंटावेंलेंट वैक्सिन दी जाने लगेगी. इस लिए कोई भी बच्चा इससे छूटना नहीं चाहिए. बिना किसी लापरवाही के कोल्ड चेन सिस्टम को मेंनटेन करना बड़ी चुनौती है. पांच टीके एक ही वैक्सिन के माध्यम से दिये जायेंगे. इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आयेगी. उक्त बातें सिविल सजर्न […]
धनबाद: जनवरी से धनबाद के बच्चों को पेंटावेंलेंट वैक्सिन दी जाने लगेगी. इस लिए कोई भी बच्चा इससे छूटना नहीं चाहिए. बिना किसी लापरवाही के कोल्ड चेन सिस्टम को मेंनटेन करना बड़ी चुनौती है.
पांच टीके एक ही वैक्सिन के माध्यम से दिये जायेंगे. इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आयेगी. उक्त बातें सिविल सजर्न डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि सदर प्रांगण में पेंटावेलेंट वैक्सिन पर आयोजित सेमिनार में कही. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक जुट होकर काम करना जरूरी है. हर कोई को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी. ट्रेनर के रुप में जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ बीके गोस्वामी, सदर चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आलोक विश्वकर्मा, डब्ल्यूएचओ के डॉ एस चौधरी शामिल थे. इसके साथ सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सक व दो-दो मेडिकल अफसर मौजूद थे. यह पदाधिकारी प्रखंडों में जाकर प्रशिक्षण देंगे. गुरुवार को कोल्ड चेन हैंडलर को व 29 को डाटा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
जाने पेंटालेंट वैक्सिन को
इस वैक्सिन में डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनस, हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलिक इंफ्लुंजा वायरस (हिब) पांच टीके एक साथ हैं. बार-बार की सूई से बच्चों को निजात मिलेगी. इस वैक्सिन को जनवरी के दूसरे हफ्ते तक नियमित टीकाकरण में जोड़ दिया जायेगा. ये टीके बच्चों को डेढ़-डेढ वर्ष के अंतराल पर दिये जायेंगे. इस तरह तीन टीके ही बच्चों को दिये जायेंगे. जबकि सामान्य टीकाकरण में बच्चों को छह बार टीका लेना पड़ता था.
एक बच्चे पर 130 रुपये खर्च
जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ बीके गोस्वामी ने बताया कि धनबाद में 0-1 वर्ष के 66 हजार 776 बच्चे हैं. जिले में मृत्यु दर एक हजार पर 24 है. बताया कि पेंटावेलेंट वैक्सिन एक बच्चे को देने का खर्च 130 रुपये हैं. बाजार में इसकी कीमत 440 लेकर 1400 रुपये तक है. पहली बार यह गरीबों तक पहुंच रही है. ऐसे में वैक्सिन बरबाद नहीं हो, उस पर भी ध्यान देना जरूरी है.
हिब से 3.7 लाख बच्चों की मौत : यूनिसेफ
यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में हर साल कम से कम 3.70 लाख बच्चे हिब (मष्तिस्क ज्वर) से दम तोड़ देते हैं. इसमें 20 प्रतिशत बच्चे भारत के होते हैं. इसमें झारखंड,बिहार,ओडिशा के भी बच्चे शामिल हैं. अभी तक अलग से मष्तिस्क ज्वर का कोई टीका नहीं था. लेकिन पेंटावेलेंट में सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें हिब का टीका शामिल है. वैक्सिन की शुरुआत भारत के तमिलनाडु व केरल में 2011 में शुरू की गयी है.