धनबाद: मानस प्रचार समिति द्वारा मानस मंदिर जगजीवन नगर में आयोजित नवाह्न् परायण एवं श्रीराम कथा के पांचवें दिन स्वामी विष्णुदेवाचार्य जी ने भक्तों से कहा भरत प्रेम उसे कहते हैं जो शत्रुओं को भी अपना मित्र बना ले.
ननिहाल से आने के बाद भरत माता कैकेयी के प्रति आक्रोश व्यक्त करते हैं, क्योंकि उनमें भैया राम के प्रति अगाध प्रेम दर्शाया था. फलत: अयोध्यावासी भरत के प्रति सद्भाव व्यक्त करने लगे थे. जब निषाद राज ने भरत को गंगा पार नहीं करने देने की घोषणा की और भरत का राम के प्रति आत्मिक प्रेम देखा तो सभी उसके कायल हो गये.सच्च प्रेम और सच्ची भावना छिपाये नहीं छिपती है. वह समाज का मार्गदर्शन करती है. आज संसद में राजनेताओं की कथनी और करनी में काफी अंतर है.
यदि भरत प्रेम को जीवन में उतार लिया जाये तो विश्व शांति का स्वत: मार्ग प्रशस्त होगा. आचार्य देवी प्रसाद पांडे ने श्रीराम वाल्मीकि संवाद, दशरथ मरण, भरत कौशल्या संवाद भरत भारद्वाज संवाद का सुंदर वर्णन किया. पंडित योगेश्वरी देवी ने चित्रकूट की महिमा का वर्णन किया. कथा में काफी संख्या में भक्त आये.