धनबाद: आइएसएम विश्व स्तर का शोध तकनीकी संस्थान है. पहचान बताने की जरूरत नहीं. संस्थान का इतिहास शुरू से रोशन रहा है. संसाधन व व्यवस्था के मामले में यह संस्थान किसी आइआइटी से पीछे नहीं, लेकिन परिस्थितिवश संस्थान को आइआइटी के टैग की जरूरत पड़ गयी है.
ये बातें एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंस के प्राध्यापक (संस्थान के पूर्व निदेशक) बीबी भट्टाचार्य ने कही. वह मंगलवार को आइएसएम के 89वें स्थापना दिवस पर पेनमेन सभागार में आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि एक बेहतर तकनीकी संस्थान का पैमाना उसके फैकल्टी व स्टूडेंट्स की गुणवत्ता के आधार पर आंकी जाती है. इस मामले में आइएसएम की तुलना देश के दूसरे तकनीकी संस्थानों के साथ करेंगे तो यह बात सहज सामने आ जाती है. उन्होंने संस्थान में बिताये अपने दिनों की भी चर्चा की.
फैकल्टी की मेहनत से मिली उपलब्धि : स्वागत भाषण में निदेशक प्रो डीसी पाणिग्रही ने पिछले पांच साल के दौरान संस्थान की उपलब्धियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. बताया कि 89 वर्षो के दौरान संस्थान के स्वरूप में जो बड़ा बदलाव आया है, उसे देखते हुए और बेहतर करने के लिए कई जरूरतें भी हैं. उन्होंने बताया कि सीमित संसाधन में संस्थान की जो भी उपलब्धियां दिख रही हैं, वे फैकल्टी के अथक प्रयास का नतीजा है. समारोह को संस्थान के पूर्ववर्ती छात्र टाटा स्टील के महाप्रबंधक संजय कुमार सिंह ने भी संबोधित किया. समारोह की अध्यक्षता प्रो निकम सुरेश ने की. जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ रजनी सिंह ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ धीरज कुमार, डॉ रश्मि माधुरी,डॉ एस मुखोपाध्याय, आदि का भी सराहनीय योगदान रहा.
नहीं हो सका स्कूली बच्चों का भ्रमण
संस्थान ने लगभग एक हजार छात्रों के प्रयोगशाला भ्रमण के लिए पूरी व्यवस्था कर रखी थी, जो धरी की धरी रह गयी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन को लेकर कई स्कूलों में मंगलवार को छुट्टी थी. इस वजह से स्कूली स्टूडेंट्स का संस्थान की प्रयोगशाला भ्रमण का कार्यक्रम नहीं हो सका.
फ्रेंडली मैच में शामिल हुआ संस्थान परिवार
आइएसएम के स्थापना दिवस के अवसर पर संस्थान के अपर व लोअर ग्राउंड सहित एक्टिविटी सेंटर में फ्रेंडली मैच का भी आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान परिवार से टीचर, स्टूडेंट्स व अन्य स्टाफ ने भाग लिया. बड़ी संख्या में लोगों ने मैच का लुत्फ उठाया.