इवीएम का चक्कर: प्रत्याशी-समर्थक जुटे, तीन घंटे तक हाइ वोल्टेज ड्रामा

धनबाद: राजकीय पॉलिटेक्निक परिसर में सोमवार को तीन घंटे से अधिक देर तक हाइ वोल्टेज ड्रामा चला. इवीएम बदलने की खबर जंगल में आग की तरह फैली. स्ट्रांग रूम के बाहर मतगणना से एक दिन पहले ही मेला लग गया. आइटीआइ भवन में इवीएम मिलने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी. पूरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2014 6:44 AM

धनबाद: राजकीय पॉलिटेक्निक परिसर में सोमवार को तीन घंटे से अधिक देर तक हाइ वोल्टेज ड्रामा चला. इवीएम बदलने की खबर जंगल में आग की तरह फैली. स्ट्रांग रूम के बाहर मतगणना से एक दिन पहले ही मेला लग गया. आइटीआइ भवन में इवीएम मिलने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी.

पूरे जिले से विभिन्न दलों के समर्थक राजकीय पॉलिटेक्निक परिसर पहुंचने लगे. दिन में दो बजे के आस-पास पूरा इलाका जाम हो गया. ऐसा लग रहा था जैसे आज ही मतगणना हो रही है. सभी दलों के कैंप में इवीएम को ले कर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी. सभी दलों के निशाने पर थे वरीय प्रशासनिक अधिकारी. वे प्रशासन के इस तर्क को मानने को तैयार नहीं थे कि इवीएम रिजेक्टेड व रिजर्व हैं. हालांकि कई ऐसे भी थे जिन्हें पूरा भरोसा था कि प्रशासन कोई गड़बड़ी नहीं कर सकता.

मामले की जांच हो : भाजपा

भाजपा के जिलाध्यक्ष हरि प्रकाश लाटा ने उपायुक्त को एक पत्र लिख कर इवीएम मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है. कहा है कि मतगणना से एक दिन पहले प्रशासन की इस तरह की हरकत कई शंकाएं पैदा करती है.

..और नेता जी की फजीहत

जिला प्रशासन की वकालत करना कांग्रेसी नेता अनंत नाथ सिंह को महंगी पड़ी. दरअसल एडीएम (लॉ एडं ऑर्डर) बीपीएल दास के आने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता हंगामा करने लगे. अनंत नाथ सिंह भी कभी शिकायत करते, तो कभी कार्यकर्ताओं को शांत करते. श्री दास भीड़ से निकल कर जैसे दूसरी ओर गये, श्री सिंह कार्यकर्ताओं को समझाने के लिए बक्से पर चढ़ गये. कहने लगे कि इवीएम से छेड़छाड़ नहीं की गयी है. इवीएम सुरक्षित है, इतने में टुंडी से आयी जेवीएम नेत्री सावित्री देवी आग बबूला हो गयी. उन्होंने अनंतनाथ सिंह के पास पहुंच कर उनका ब्लेजर पकड़ कर नीचे खींच लिया. इसके बाद हंगामा बढ़ गया. एक गुट अनंत नाथ सिंह को बचाने लगा, तो दूसरे गुट महिला का समर्थन करने लगा. महिला ने कहा कि जिला प्रशासन की चापलूसी बरदाश्त नहीं हो सकती है.

देखो यही है एग्जिट पोल..

एक कार्यकर्ता ने कहा कि बक्से में इवीएम तो वीवीसैट रखा हुआ है. इन पर स्याही के निशान लगे हैं. इसी आधार पर चैनल वाले एग्जिट पोल में एनडीए की जीत दिखा रहे हैं. अब समझ में आया एग्जिट पोल का नतीजा. यह प्रशासन की लापरवाही है. कोई दूसरा यह गलती करता तो प्रशासन उनका घर-जमीन सब बेच देता.

क्या कहा प्रत्याशियों ने

यह गंभीर मामला है. रिजेक्टेट इवीएम को ही निकालने से पहले जिला प्रशासन को सभी प्रत्याशियों को सूचना देनी चाहिए थी. गुपचुप तरीके से काम करना गलत है. जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए.

राज सिन्हा, धनबाद से भाजपा प्रत्याशी

यह मोदी मंत्र का असर है. इवीएम को बाहर निकालने की जल्दबाजी प्रशासन की नीयत पर संदेह पैदा करता है. पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.

डा. सबा अहमद, टुंडी से जेवीएम प्रत्याशी.

मामले को बे-वजह तूल दिया जा रहा है. जिला प्रशासन पर पूरा भरोसा है. स्ट्रांग रूम या इवीएम से कोई छेड़-छाड़ नहीं हुई है.

संजीव सिंह, झरिया से भाजपा प्रत्याशी.

जिला प्रशासन को इवीएम निकालने की सूचना देनी चाहिए थी. वैसे इवीएम से छेड़-छाड़ का आरोप सही नहीं है.

नीरज सिंह, झरिया से कांग्रेस प्रत्याशी.

इवीएम बदली गयी है या नहीं, यह तो स्ट्रांग रूम खुलने के बाद पता चलेगा. वैसे एग्जिट पोल को सही साबित कराने के लिए मोदी सरकार कुछ भी करवा सकती है. मथुरा प्रसाद महतो, टुंडी से झामुमो प्रत्याशी.

इवीएम को पूरी तरह सुरक्षित रखना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है. इवीएम से छेड़-छाड़ का आरोप सही प्रतीत नहीं होता. स्ट्रांग रूम पूरी तरह सील है.

गणोश मिश्र, निरसा से भाजपा प्रत्याशी

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