डॉ सबा ने राजनीति से लिया संन्यास

धनबाद: पूर्व मंत्री और झारखंड विकास मोरचा (जेवीएम) के केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉ सबा अहमद ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है. गुरुवार को प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने कहा कि भविष्य में वह अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. पार्टी अगर समङोगी तो सलाहकार की भूमिका में रहेंगे, सलाह देंगे. इसके साथ ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2014 7:12 AM

धनबाद: पूर्व मंत्री और झारखंड विकास मोरचा (जेवीएम) के केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉ सबा अहमद ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है. गुरुवार को प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने कहा कि भविष्य में वह अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. पार्टी अगर समङोगी तो सलाहकार की भूमिका में रहेंगे, सलाह देंगे.

इसके साथ ही आज रात वह इलाज कराने के लिए नयी दिल्ली रवाना हो गये. इस चुनाव में टुंडी विधानसभा क्षेत्र से 45, 229 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहने वाले 70 वर्षीय डॉ सबा ने कहा कि आज की राजनीति में वह फिट नहीं बैठ रहे हैं. उम्र हो गयी है और पैसे नहीं हैं. अब तक ईमानदारी से राजनीति कर जनता की सेवा की.

अब उनसे दौड़ना-धूपना संभव नहीं है. शरीर साथ नहीं दे रहा है. अब चुनाव पैसे का खेल हो गया है. सेवा व संपर्क कोई काम नहीं आता है. पैसे वाले लोग करोड़ों रुपये खर्च कर चुनाव जीत जाते हैं. चुनाव आयोग का निर्देश हवा-हवाई रहता है. कारोबारी का पैसा व गाड़ी पकड़ चर्चा में अधिकारी आते हैं और उम्मीदवारों की राशि का पता भी नहीं चल पाता है. टुंडी में अपनी हार की चर्चा करते हुए कहा कि पैसे की कमी के कारण वह चुनाव नहीं जीत सके. पर वह अपने लोगों को छोड़ेंगे नहीं. साथ रहेंगे. मदद व सेवा करते रहेंगे.

उल्लेखनीय है कि एमबीबीएस डॉक्टर सबा अहमद के पिता भी कांग्रेस के गिरिडीह के एमपी थे. वर्ष 1991 में डा सबा कोडरमा से लोकसभा चुनाव झामुमो के टिकट पर लड़े और पराजित हो गये. 1992 में टुंडी विधानसभा उप चुनाव में झामुमो के टिकट पर विजयी हुए. झामुमो का विभाजन होने पर वह मार्डी गुट में चले गये. इस दौरान वह बिहार की लालू सरकार में कारा राज्य मंत्री बने. 1995 में वह राजद के टिकट पर टुंडी से फिर जीते और इस बार वह बिहार सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री बने. 2000 का चुनाव भी राजद के टिकट पर जीते. इसके बाद उन्हें जीत नसीब नहीं हुई.

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