निरसा/मैथन: डीवीसी बकाया के कारण कोयला खरीदने में भी असमर्थ है. इसके कारण पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन भी नहीं हो पा रहा है. झारखंड सरकार से कुछ रकम प्राप्त हुई है, जिससे कोयला कंपनी को भुगतान किया जायेगा. फिलहाल डीवीसी अपनी उत्पादन क्षमता 6357 मेगावाट की जगह सिर्फ 2900 मेगावाट उत्पादन कर पा रहा है.
यह जानकारी देते हुए डीवीसी के सीपीआरओ एसटी अफरोज ने बताया कि चेयरमैन एंड्रयू डब्ल्यूके लैंगस्टे व झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से वार्ता के बाद रकम प्राप्त हुई है, लेकिन यह काफी कम है.
वैसे मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि डीवीसी का भुगतान नियमित किया जायेगा. उन्होंने बताया कि प्रतिमाह 180 करोड़ बिल के अलावा बकाया 8000 करोड़ की रकम में से 100 करोड़ (कुल 280 करोड़ रुपये प्रतिमाह) भुगतान का प्रस्ताव डीवीसी की ओर से रखा गया है. कहा कि कोयला कंपनी कैश एंड कैरी सिस्टम के तहत कोयला दे रही है. जैसे ही झारखंड सरकार से रकम प्राप्त हुई, वैसे ही कोयला कंपनी को सूचित किया गया है कि पैसे मिल रहा है, कोयला आपूर्ति की जाये.
कोयला मिलते ही उत्पादन में सुधार होगा और तब जाकर विद्युतापूर्ति नियमित की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के अलावा मध्यप्रदेश, कोल इंडिया व रेल पर डीवीसी का बकाया है. परंतु यह काफी कम है. मध्यप्रदेश सरकार लगभग नियमित भुगतान करती है. भुगतान न होने का नोटिस देते ही मप्र सरकार भुगतान तत्काल करने की व्यवस्था कर देती है. जहां तक कोल इंडिया व रेलवे का सवाल है तो कोल इंडिया से कोयला व रेलवे से ढुलाई करवा बिल एडजस्ट किया जाता है. झारखंड सरकार यदि नियमित भुगतान कर देती है तो डीवीसी की स्थिति में भी सुधार आयेगा और राज्य को बिजली भी नियमित रूप से मिलेगी. आशा व्यक्त की कि उच्च स्तरीय वार्ता के बाद झारखंड सरकार भुगतान के प्रति गंभीर रवैया अपनायेगा. श्री अफरोज इस बात को एक सिरे से नाकार दिया कि डीवीसी अपने प्लांट को किसी दूसरे के हाथों सौंपेगा. कहा कि ऐसी किसी योजना पर फिलहाल कोई बात नहीं चल रही है.
केंद्र से वित्तीय मदद की डीवीसी को आशा : सूत्रों के अनुसार डीवीसी का झारखंड सरकार व अन्य पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपया बकाया है. भुगतान न होने के कारण कोल इंडिया का डीवीसी पर लगभग 2000 करोड़ रुपया भुगतान बकाया हो गया है. जहां तक वित्तीय स्थिति का सवाल है, फिलहाल डीवीसी पर लगभग 30 हजार करोड़ का ऋण है. डीवीसी की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रति माह लगभग 1000 करोड़ रुपया चाहिए, लेकिन डीवीसी को 850 करोड़ रुपया ही मिल पा रहा है. इस तरह प्रति माह 150 करोड़ रुपया कम मिल रहा है. अब डीवीसी 1600 करोड़ का बांड इश्यू करने पर विचार कर रहा है. ऋण के एवज में डीवीसी को प्रति त्रैमासिक 604.63 करोड़ भुगतान करना पड़ रहा है. सूत्रों के अनुसार डीवीसी को केंद्र से वित्तीय सहायता की आशा है. इस संबंध में जल्द ही फैसला आने वाला है.