..और पुनिया ने दम तोड़ दिया
बरवाअड्डा: दर्द से तड़पते-तड़पते पीएमसीएच में तीन दिनों से इलाजरत 45 वर्षीय पुनिया देवी ने दम तोड़ दिया. शुक्रवार की देर रात पीएमसीएच के आइसीयू में जब पुनिया ने अंतिम सांस ली, तब पूरा पीएमसीएच कोहरे और अंधकार की काली चादर ओढ़े सो रहा था. कोई डॉक्टर नहीं. शनिवार की सुबह गमगीन माहौल में बरवाअड्डा […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
January 11, 2015 8:43 AM
बरवाअड्डा: दर्द से तड़पते-तड़पते पीएमसीएच में तीन दिनों से इलाजरत 45 वर्षीय पुनिया देवी ने दम तोड़ दिया. शुक्रवार की देर रात पीएमसीएच के आइसीयू में जब पुनिया ने अंतिम सांस ली, तब पूरा पीएमसीएच कोहरे और अंधकार की काली चादर ओढ़े सो रहा था. कोई डॉक्टर नहीं.
शनिवार की सुबह गमगीन माहौल में बरवाअड्डा के बड़ा जमुआ से पुनिया की शव यात्र निकली और शमशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया. गहरे शोक में डूबे पुनिया के पति मगन तुरी कहते हैं-‘‘आज पुनिया जिंदा होती, यदि उसे हम पीएमसीएच की जगह कहीं और ले गये होते. पीएमसीएच के डॉक्टरों के भरोसे रह कर हमने ही पुनिया को मार डाला.’’ पुनिया अपने पीछे एक पुत्र अशोक प्रसाद तुरी एवं दो पुत्री किरण कुमारी व रेणु कुमारी को छोड़ गयी है़ परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. ममता की छांव से वंचित पुनिया के बेटे अशोक के चेहरे पर यह भाव साफ झलकता है कि यदि गरीबी नहीं होती तो जान बचायी जा सकती थी़.
कमर व सिर दर्द की शिकायत थी : पुनिया के बेटे अशोक ने बताया कि कमर व सिर दर्द को लेकर दो दिन पहले पुनिया को पीएमसीएच में भरती कराया गया था. बुधवार को जब पुनिया को पीएमसीएच ले जाया गया, तब मामूली तकलीफ कह कर उसे भरती नहीं किया गया. चिकित्सकों ने कुछ दवा लिखकर पुनिया को घर भेज दिया़ गुरुवार को तकलीफ बढ़ने पर दुबारा पुनिया को पीएमसीएच ले जाया गया और परिजनों के काफी मिन्नत करने पर पुनिया को भरती किया गया. इसके बाद पुनिया का मलेरिया का टेस्ट हुआ, मगर कुछ नहीं निकला. एक ओर पुनिया की बीमारी का पता नहीं चल पा रहा था और दूसरी ओर लगातार उसकी स्थिति खराब हो रही थी़.
शुक्रवार की सुबह पुन: डॉक्टर ने जांच की. सीटी स्केन हुआ. खून एवं रीढ़ की हड्डी से पानी निकाल कर जांच के लिये भेजा गया. जांच रिपोर्ट एक बजे के बाद मिली, तब तक सभी डॉक्टर जा चुके थ़े शुक्रवार को दोपहर बाद से पुनिया बार-बार बेहोश होती रही. परिजनों द्वारा लगातार डॉक्टर को बुलाने के बाद भी कोई नहीं पहुंचे और रात के करीब ग्यारह बजे पुनिया ने दम तोड़ दिया़.
गरीब होने की सजा : पुनिया के पति मगन तुरी दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं़ वह बताते हैं कि यदि पीएमसीएच के बजाय कहीं और ले गये होते, शायद उसकी पत्नी की मौत नहीं होती. वहीं पुत्र अशोक ने बताया कि पीएमसीएच में दूसरी बार भरती करने पर डॉक्टर एवं स्टाफ द्वारा इलाज कम गलत व्यवहार ज्यादा किया गया़ डॉक्टर, मां का इलाज कम कर रहे थे, क्यों और कैसे बीमार हुई, इस पर अधिक चर्चा कर रहे थ़े मगन तुरी कहते हैं कि ‘‘यदि पैसे न हो तो पीएमसीएच जाने के बजाय घर में रख कर मरीज का ख्याल रखें तो संभव है कि मरीज की हालत में सुधार हो जाये.’’