कर सको तो दुखन का दु:ख दूर करो

धनबाद: अपने घर का एक मात्र चिराग (पुत्र) 28 वर्षीय महावीर को बचाने के लिए झरिया निवासी माडा का सफाईकर्मी दुखन कोरंगा दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा है. पुत्र की किडनी खराब हो गयी है. उसे बदलने के लिए वेल्लोर जाना है. पांच लाख खर्च बताया गया है. इतने पैसे उसके पास नहीं. लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2015 10:00 AM
धनबाद: अपने घर का एक मात्र चिराग (पुत्र) 28 वर्षीय महावीर को बचाने के लिए झरिया निवासी माडा का सफाईकर्मी दुखन कोरंगा दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा है. पुत्र की किडनी खराब हो गयी है. उसे बदलने के लिए वेल्लोर जाना है. पांच लाख खर्च बताया गया है. इतने पैसे उसके पास नहीं.

लेकिन माडा के पास उसका 31 माह का वेतन बकाया है. भविष्य निधि (पीएफ) की रकम है. दोनों में से कोई एक मिल जाये तो वह बाप होने का फर्ज तो निभा पायेगा. बेटे को बचाने में जीवन भर की कमाई झोंक देगा. लेकिन प्रशासन से लेकर माडा तक कोई उसकी नहीं सुन रहा.

सोमवार को दुखन एमडी डॉ रविंद्र सिंह से मिला और दुखड़ा सुनाया. काफी हाथ-पांव जोड़ने के बाद उन्होंने नियमित वेतन के अलावा एक माह का अतिरिक्त वेतन देना स्वीकार किया . इससे तो पुत्र को लेकर वेल्लोर जाने में रास्ते का खर्च भी पूरा नहीं होगा. एमडी के पास से निराश लौटा दुखन कोरंगा का रो-रो कर बुरा हाल है. उसका कहना है कि किस काम की उसकी कमाई जो बेटे की जान को बचाने में भी काम न आये. उचित इलाज के अभाव में वह 2009 में अपने एक बेटे 21 वर्षीय तपन को वह गवां चुका है. उसे खेलने के दौरान सिर में चोट लगी थी.

दुखन अपना दुख सुनाने के लिए माडा अधिकारियों से मिन्नत करता फिर रहा है. आगे वह अपनी फरियाद लेकर विधायक राज सिन्हा से मिलने की तैयारी में है. इस संबंध में संपर्क करने पर माडा एमडी का कहना है कि आर्थिक स्थिति चरमरायी हुई है. फिलहाल इतना दे पाना ही संभव है. बाद में देखा जायेगा.

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