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50 करोड़ सालाना राजस्व पर अफसर एक, बाबू एक

धनबाद: धनबाद का जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) भगवान भरोसे चल रहा है. क्लर्क के नौ पद हैं. लेकिन हैं केवल एक. इनके अलावा एक नाइट गार्ड व एक आदेशपाल हैं. यानी कुल जमा तीन कर्मचारी. नाइट गार्ड व आदेशपाल से भी ऑफिस में काम लिया जाता है. इस कारण वाहनों के एनओसी से लेकर बाहर […]

धनबाद: धनबाद का जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) भगवान भरोसे चल रहा है. क्लर्क के नौ पद हैं. लेकिन हैं केवल एक. इनके अलावा एक नाइट गार्ड व एक आदेशपाल हैं. यानी कुल जमा तीन कर्मचारी. नाइट गार्ड व आदेशपाल से भी ऑफिस में काम लिया जाता है. इस कारण वाहनों के एनओसी से लेकर बाहर के लाइसेंसों की जांच का काम भी प्रभावित हो रहा है. कंप्यूटरीकृत हो जाने के बाद एक अलग ऑफिस बना है. कंप्यूटर सेक्शन में छह कर्मचारी हैं. सभी छह एनआइसी की ओर से संविदा पर हैं. डीटीओ को विभाग की ओर से एक टाटा सूमो भी दिया गया है.

उसका चालक भी संविदा पर ही है. विभाग में लिपिक की बहाली नहीं हो रही है. अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति वालों से काम चल रहा है. अन्य जिलों के कार्यालय में दूसरे विभाग से आये कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं. वर्ष 1985 के बाद से इस कार्यालय में नयी नियुक्ति नहीं हुई है. विभाग साल में राज्य सरकार को 50 करोड़ राजस्व देता है.

जिला परिवहन पदाधिकारी ने विभाग को लिखा पत्र : डीटीओ में कर्मचारियों के टोटे को लेकर डीटीओ रविराज शर्मा ने विभाग को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि अलग राज्य बनने के बाद वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. नया लाइसेंस, लाइसेंस नवीकरण व हस्तांतरण करने का काम भी बढ़ा है. कर्मियों की कमी के कारण परिवहन कार्यालय में सामान्य कामकाज सुचारु रूप से संभव नहीं हो पा रहा है.

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