अभाव में बिगड़ता है स्वभाव : सत्याश्रयानंद

धनबाद. अभाव में मानव का स्वभाव बिगड़ जाता है. अभाव का कारण त्रुटिपूर्ण आर्थिक व्यवस्था है. इस व्यवस्था से निजात पाने के लिए आर्थिक प्रजातंत्र को स्वीकार करना होगा. प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी आर्थिक तंत्र में होनी चाहिए. नैतिकता समय की मांग है चाहे नीति कितनी भी अच्छी क्यों न हो अगर नैतिकता नहीं होगी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2015 10:04 PM

धनबाद. अभाव में मानव का स्वभाव बिगड़ जाता है. अभाव का कारण त्रुटिपूर्ण आर्थिक व्यवस्था है. इस व्यवस्था से निजात पाने के लिए आर्थिक प्रजातंत्र को स्वीकार करना होगा. प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी आर्थिक तंत्र में होनी चाहिए. नैतिकता समय की मांग है चाहे नीति कितनी भी अच्छी क्यों न हो अगर नैतिकता नहीं होगी तो मानव का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता. ये बातें आनंद मार्ग प्रचारक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक सत्याश्रयानंद अवधूत ने कार्मिक नगर स्थित स्कूल में कही. आज के सेमिनार का विषय था भक्ति एवं बुद्धि का क्षेत्र विस्तार. महामंत्र बाबा नाम केवलम कीर्तन किया गया. साधकों को आसन मुद्रा, प्राणायाम का अभ्यास कराया गया. दोपहर में नारायण सेवा में गरीब लोगों एवं छाई गद्दा के बच्चों को खाना खिलाया गया. मौके पर आचार्य ब्रजप्राणानंद अवधूत, लोबीन, राम विलास, शंकर देव, मनोज, रामेंद्रानंद, नवअरुणानंद, सुखदेवानंद, दीप नारायण, अवधूतिका आनंद, सत्यव्रता, आचार्या आनंद तृप्ति आदि उपस्थित थे.

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