माना काम अवैध, पर सवाल मानवता का

– इसीएल प्रबंधन के रवैये से अधिकारी दुखी – ग्रामीणों में भी फूट पड़ा है गुस्सा – भगवान भरोसे ही चल रहा राहत व बचाव कार्य – फटका कोलियरी (निरसा) से लौट कर प्रदीप कुमार घटनास्थल फटका खदान के उस मुहाने के आसपास लोगों की भारी भीड़ जमा है, जहां से पानी की निकासी हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2013 3:26 AM

इसीएल प्रबंधन के रवैये से अधिकारी दुखी

– ग्रामीणों में भी फूट पड़ा है गुस्सा

– भगवान भरोसे ही चल रहा राहत बचाव कार्य

– फटका कोलियरी (निरसा) से लौट कर प्रदीप कुमार

घटनास्थल फटका खदान के उस मुहाने के आसपास लोगों की भारी भीड़ जमा है, जहां से पानी की निकासी हो रही है और अंदर फंसे लोग प्रवेश किये थे. सभी के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. गहमागहमी भरा माहौल है.

कुछ किनारे खड़े खामोश निगाहों से वहां की हलचल देख रहे हैं. कुछ इधरउधर भाग रहे हैं. कोई किसी को आवाज देकर सामान की मांग करता है. वहां मौजूद ग्रामीणों में से हर कोई किसी भी तरह खदान के अंदर फंसे अपनों को निकालने की जुगत में है. कोई पंप को देखता हैयह ठीक ढंग से काम तो कर रहा है.

कुछ जेनरेटर की व्यवस्था में लगे हैं. ग्रामीणों का यह सामूहिक प्रयास शनिवार से ही चल रहा है. जो काम जिला प्रशासन इसीएल प्रबंधन को करना चाहिए था, ग्रामीण इसे महती धर्म समझ कर कर रहे हैं. आमतौर पर देखा जाता है कि अवैध उत्खनन के दौरान कोई अनहोनी होने पर लोग लुकछिप कर काम करते हैं. लेकिन यहां यह अवधारणा टूटी है.

फिलहाल लोगों को उन 18 अपनों की चिंता साल रही है. शासनप्रशासन क्या करेगा, इसकी चिंता किसी को नहीं है. ये आशान्वित हैं कि उनके अपने सकुशल होंगे. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया, साहब, हमने माना कि धंधा अवैध है, लेकिन अंदर फंसे लोग तो इनसान हैं.

पेट के लिए आदमी क्या करेगा? इसीएल प्रबंधन का रवैया दुखदायी है.इस ग्रामीण का कहना गलत हो सकता है, लेकिन घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे इसीएल मुगमा क्षेत्र के जीएम पीके सिंह एजीएम पीआर मित्तल का दौरा किसी औपचारिकता से कम नहीं था. उनके साथ कई अन्य अधिकारी भी थे. सभी ने वहां चल रहे बचाव कार्य को देखा, लोगों से बातचीत की और जैसे आये थे, चले गये.

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