नेत्र चिकित्सक हैं नहीं मना रहे ग्लूकोमा दिवस

धनबाद: धनबाद स्वास्थ्य विभाग आठ से चौदह मार्च तक ग्लूकोमा दिवस मना रहा है. लेकिन विडंबना यह कि उसके पास एक भी नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है. डेढ़ वर्ष पहले एकमात्र नेत्र चिकित्सक डॉ शशि भूषण प्रसाद के स्थानांतरण के बाद पद खाली रह गया. स्वास्थ्य विभाग में कम से कम पांच नेत्र चिकित्सक होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2015 10:29 AM
धनबाद: धनबाद स्वास्थ्य विभाग आठ से चौदह मार्च तक ग्लूकोमा दिवस मना रहा है. लेकिन विडंबना यह कि उसके पास एक भी नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है. डेढ़ वर्ष पहले एकमात्र नेत्र चिकित्सक डॉ शशि भूषण प्रसाद के स्थानांतरण के बाद पद खाली रह गया. स्वास्थ्य विभाग में कम से कम पांच नेत्र चिकित्सक होने चाहिए. फिर सरकार व विभाग का कहना है कि आंखों की किसी भी तरह की परेशानी होने पर सदर अस्पताल में जांच कराये.

लेकिन धनबाद में सदर अस्पताल निर्माणाधीन है, नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है. वहीं जिले में मात्र चार नेत्र सहायक ही है. गोविंदपुर, निरसा, तोपचांची व बाघमारा छोड़ अन्य सामुदायिक केंद्र में नेत्र सहायक भी नहीं हैं.

45 चिकित्सकों के पद खाली
स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के कुल 125 पद हैं. इसमें मात्र 80 चिकित्सक ही सेवा दे रहे हैं. जबकि चिकित्सकों के 45 पद खाली है. वहीं आठ सामुदायिक केंद्र, 28 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 148 उप स्वास्थ्य केंद्र धनबाद में हैं. लेकिन सामुदायिक व प्राथमिक केंद्र की बातें छोड़ दें, तो अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला ही लटका रहता है. इन केंद्रों पर कभी-कभार ही चिकित्सक जाते हैं.
सारा दारोमदार पीएमसीएच पर
नेत्र रोग से संबंधित मरीजों को देखने के लिए सारा दारोमदार पीएमसीएच पर ही है. यहां सात नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. जिन पर ही पूरे धनबादवासियों के इलाज करने का जिम्मा है. पीएमसीएच प्रबंधन का कहना है कि आंखों के मामूली इलाज के लिए लोगों को काफी दूर दराज से यहां आना पड़ रहा है. इलाज के साथ पीएमसीएच के चिकित्सकों को मेडिकल स्टूडेंटों को पढ़ाना भी पड़ता है.
जानें ग्लूकोमा को
अमूमन 40 वर्ष के बाद लोगों को आंखों से संबंधित परेशानियां होने लगती हैं. जब कोई वस्तु स्पष्ट नहीं दिखे और उसके चारों को ओर काला सर्किल हो जाये, तो ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) होने का खतरा होता है. इससे आंखों की रोशनी जा सकती है. झारखंड में हजारों लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है. इसी को लेकर प्रत्येक आठ मार्च से लेकर 14 मार्च तक जागरूकता को लेकर स्वास्थ्य विभाग ग्लूकोमा दिवस मनाया जाता है.

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