15 माह में साइबर क्राइम के मात्र 14 एफआइआर

धनबाद: धनबाद में जनवरी, 2014 से मार्च, 2015 तक 15 महीने में साइबर क्राइम के मात्र 14 मामले दर्ज हुए. केवल दो मामले का खुलासा कर पुलिस आरोपियों को जेल भेज पायी. थाना स्तर पर साइबर क्राइम से संबंधित केस दर्ज करने में आनाकानी की जाती है. जबकि अकसर इस तरह का धंधा होता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2015 8:07 AM
धनबाद: धनबाद में जनवरी, 2014 से मार्च, 2015 तक 15 महीने में साइबर क्राइम के मात्र 14 मामले दर्ज हुए. केवल दो मामले का खुलासा कर पुलिस आरोपियों को जेल भेज पायी. थाना स्तर पर साइबर क्राइम से संबंधित केस दर्ज करने में आनाकानी की जाती है. जबकि अकसर इस तरह का धंधा होता है.

लोगों से एटीम कोड पूछ कर पैसे निकासी संबंधी अधिकांश मामले में पुलिस आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज नहीं करती. विदित हो कि झारखंड के विभिन्न क्षेत्र के साइबर अपराधी फोन कर ठगी का धंधा कर रहे हैं. आये दिन किसी न किसी को फोन आता है. फोन करनेवाला अक्सर खुद को बैंक अधिकारी बताता है और इसके बाद पिन कोड ज्ञात कर लेता है. फिर पता चलता है कि रकम निकल गये. पीड़ित को तब अपनी गलती का अहसास होता है.

केस स्टडी वन
सीआरपीएफ 154 वीं बटालियन के कमांडेट अरदन एक्का को फोन आया. फोन करने वाले ने कहा कि बैंक से बोल रहे हैं. झांसा देकर एटीएम कोड पूछ लिया. कमांडेंट के खाते से विगत अगस्त माह में 34,109 रुपये निकासी कर ली. सरायढेला थाना में मामला दर्ज है.
केस स्टडी दो
गोमो निवासी रेलकर्मी तपस सेन दिसंबर माह में कोलकाता गये थे. बैंक अधिकारी बताकर साइबर अपराधियों ने उनसे उनके एटीएम कार्ड पिन पूछा और बैंक खाते से 22 हजार निकाल लिये. इस संबंध में उन्होंने हरिहरपुर थाना में केस दर्ज कराया है.
केस स्टडी तीन
बाघमारा सरीटांड़ निवासी सुदीष्ट शर्मा को झांसा देकर एटीएम पिन पूछकर विगत फरवरी माह में 46,585 रुपये की निकासी कर ली गयी. एटीएम की समय-सीमा समाप्त होने की बात कहकर एटीएम का कोड पूछा गया था. मामले में बाघमारा थाना में केस दर्ज है.

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