यह उनकी उम्मीद के विपरीत था. बेचैनी बढ़ गयी. फिर माफियाओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाइकोर्ट में धनबाद में चल रहे मुकदमों को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने की गुहार लगायी. उन्होंने दलील दी कि धनबाद जिला प्रशासन पूर्वाग्रह से ग्रसित है. उनसे संबंधित मुकदमों के गवाहों को प्रभावित कर गवाही दिलायी जा रही है. ऐसे में उन्हें न्याय नहीं मिल सकता. माननीय हाइकोर्ट ने उनकी अपील को नहीं माना. तब वे लोग सुप्रीम कोर्ट गये. सुप्रीम कोर्ट ने धनबाद में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों को आसनसोल कोर्ट मे सुनवाई करने का आदेश दिया. कई मामले अब भी वहां लंबित हैं.
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माफिया ट्रायल हो गया दूसरे राज्य में स्थानांतरित
धनबाद: धनबाद के माफिया कानूनी लड़ाई के माहिर खिलाड़ी माने जाते रहे हैं. कोर्ट में मामला लटकाये रखने, गवाहों को धमकाने अपने पक्ष में कर लेने के कई मामले सामने आते रहे हैं. यहां तक कि बहुचर्चित माफिया ट्रायल तक को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करवाने में सफल रहे. अभी भी वहां मुकदमा चल रहा […]
धनबाद: धनबाद के माफिया कानूनी लड़ाई के माहिर खिलाड़ी माने जाते रहे हैं. कोर्ट में मामला लटकाये रखने, गवाहों को धमकाने अपने पक्ष में कर लेने के कई मामले सामने आते रहे हैं. यहां तक कि बहुचर्चित माफिया ट्रायल तक को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करवाने में सफल रहे. अभी भी वहां मुकदमा चल रहा है. तारीख पर तारीख. कई आरोपित तो स्वर्ग सिधार गये. इस लिहाज से भी इस फैसले को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसकी एक वजह अभियोजन का मामले को लेकर गंभीर होना है.
मामला 80 के दशक का : कोयलांचल मे जारी माफियायों के खेल पर नकेल कसने की शुरुआत एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद ने शुरू की. तब धनबाद तत्कालीन डीसी मदन मोहन झा ने माफियायों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के तहत आर्थिक ठिकानों पर छापामारी, समर्थकों की गिरफ्तारी एवं गवाहों को सुरक्षा देना प्रारंभ किया. इसका परिणाम भी दिखने लगा. जो गवाह गवाही देने के बारे सोचते भी नहीं थे, वे कोर्ट मे आकर माफिया के खिलाफ गवाही देने लगे.
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