सजा जिसे भी मिले, खुदा मेरी जैसी तंगहाली की जिंदगी किसी को न दे
सिजुआ. विनोद सिंह हत्याकांड में चालक 22/12 सिजुआ निवासी शमशुद्दीन अंसारी उर्फ मन्नू अंसारी की भी मौत हो गयी थी. शनिवार को इस हत्याकांड के आरोपी रामाधीर सिंह को न्यायालय में उम्र कैद की सजा सुनायी गयी. इस फैसले के बाद प्रभात खबर की टीम मन्नू की बेवा फरीदा बीवी के आवास पहुंची. इस फैसले […]
इन 17 वर्षो में तंगहाली व फाकाकशी भरे जीवन में किसी ने भी मदद नहीं की. सभी के दरवाजे पर गयी, लेकिन किसी ने सहायता नहीं की. 20 दिन पहले ही समाज व गांव वालों की मदद से अपनी पुत्री की निकाह करवायी. बड़े पुत्र असलम रजा (18) इंटर व इसलाम अंसारी (17) नौ कक्षा में सरकारी विद्यालय में पढ़ा रहे हैं. फरीदा कहती है कि वह किसी तरह दोनों बच्चों का भविष्य बना ले. कहती है कि 15 जुलाई 1998 की सुबह सात बजे मेरा शौहर घर से निकला था.
उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा था. फिर अचानक दो-तीन घंटे बाद खबर मिली कि कतरास में गोलीबारी हुई है. घटना में उसके शौहर की मौत हो गयी थी. वह घर का एक मात्र कमाऊ सदस्य थे. उस वक्त बच्चे सभी छोटे-छोटे थे. फरीदा कहती है कि वह नहीं जानती थी कि उसके शौहर की किसने हत्या की.
मगर हत्यारों को सजा दिलाने के लिए न्यायालय का सहारा लिया. दाने-दाने को मोहताज हो गये थे. इधर-उधर से मांग-चांग कर घर-परिवार चलाते थे. बावजूद पैसे का जुगाड़ कर केस लड़ते रहे. केस लड़ने के लिए भी किसी ने सहायता नहीं की. धमकी के सवाल पर कहती है कि केस लड़ने में मुङो किसी ने कोई धमकी नहीं दी. समाज के कुछ लोगों के सहयोग से बगल में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में काम संभाला. इसके बाद बच्चों की पढ़ाई में लग गयी. फरीदा कहती है कि सजा जिसे भी मिले, मगर खुदा मेरी जैसी तंगहाली का जीवन किसी को न दे.