क्षमता से अधिक इच्छा दुख व क्रोध का कारण : स्वामीजी
धनबाद: दु:ख और क्रोध का मूल कारण इच्छा है. हम अपनी क्षमता से अधिक इच्छा करने लगते हैं और जब वह पूरी नहीं होती, तब हमें दु:ख होता है और क्रोध भी आता है. इच्छा तो सभी लोग करते हैं, लेकिन उसे पूरा करना ईश्वर के हाथ में है. श्रीमद्भागवत कथा भी यही समझाता है. […]
धनबाद: दु:ख और क्रोध का मूल कारण इच्छा है. हम अपनी क्षमता से अधिक इच्छा करने लगते हैं और जब वह पूरी नहीं होती, तब हमें दु:ख होता है और क्रोध भी आता है. इच्छा तो सभी लोग करते हैं, लेकिन उसे पूरा करना ईश्वर के हाथ में है. श्रीमद्भागवत कथा भी यही समझाता है.
ये उद्गार विश्ववल्लभदास जी स्वामी ने श्री स्वामीनारायण सत्संग समाज द्वारा बुधवार को बैंकमोड़ स्थित प्रभुकुंज में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के विश्रम (सप्तम) के दिन श्रोताओं से कही. स्वामीजी ने कहा कि जीवन में सुख से रहना है तो ज्यादा इच्छा मत करो. यदि इच्छा करनी है तो साधारण इच्छा करो.
श्री रामचंद्रजी को राजगद्दी पर बैठना था, लेकिन दूसरे ही दिन उनको 14 वर्ष के लिए वन में जाना पड़ा. जब भगवान राम की भी इच्छा पूरी नहीं हुई, तो हम क्या चीज हैं. श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ में श्री स्वामीनारायण सत्संग समाज के नौत्तमभाई चौहाण, मनसुखभाई पटेल, प्रवीण भाई चौहाण, दिलेशभाई चुड़ासमा, धीरूभाई दवे सहित कई श्रोता उपस्थित थे. गुरुवार को कथा स्थल पर सुबह 9 बजे हवन व यज्ञ संपन्न होगा. दोपहर 12 बजे महाप्रसाद का आयोजन होगा.