सरकारी स्कूलों में यह कैसा मूल्यांकन

धनबाद: पढ़ाने को शिक्षक नहीं, खेलने को मैदान नहीं और बैठने को बेंच नहीं. कमोबेश सरकारी स्कूलों का यही हाल है. हालांकि यहां भी सीसीइ (सतत एवं समग्र मूल्यांकन) और आरटीइ (शिक्षा का अधिकार) लागू है. ऐसे अभाव में कुछ सरकारी स्कूलों में बिना प्रश्नपत्र व उत्तरपुस्तिका के सोमवार से एसए वन का मूल्यांकन शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2013 10:42 AM

धनबाद: पढ़ाने को शिक्षक नहीं, खेलने को मैदान नहीं और बैठने को बेंच नहीं. कमोबेश सरकारी स्कूलों का यही हाल है. हालांकि यहां भी सीसीइ (सतत एवं समग्र मूल्यांकन) और आरटीइ (शिक्षा का अधिकार) लागू है.

ऐसे अभाव में कुछ सरकारी स्कूलों में बिना प्रश्नपत्र व उत्तरपुस्तिका के सोमवार से एसए वन का मूल्यांकन शुरू हो गया. इनमें बीएसएस बालबाड़ी मवि एवं मवि, धैया शामिल हैं.

हालांकि ज्यादातर स्कूलों में मूल्यांकन की केवल खानापूरी ही होती है. कई स्कूलों के बच्चों को भी पता नहीं होता कि उनका मूल्यांकन हो चुका है. दरअसल बिना मूल्यांकन के भी बच्चों को रिपोर्ट कार्ड मिल जाता है. यहां मूल्यांकन के लिए कोई तय रूटीन भी नहीं है. सीसीइ के तहत दो एसए (समेटिव एसेसमेंट) एवं चार एफए (फॉरमेटिव एसेसमेंट) होने हैं. व्यवहार एवं अन्य गतिविधियों पर भी अंक (ग्रेड) दिये जाते हैं.

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