कम से कम अपने हिस्से की हिंदी तो लिखें
धनबाद: केरल के जाने-माने हिंदी विद्वान प्रो. वीपी कुंजू मेत्तर ने कहा है कि कम से कम अपने हिस्से की हिंदी तो लिखें. यह एक हजार साल पहले की भाषा है. इसने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया है. प्रो. कुंजू मेत्तर सोमवार को बीसीसीएल हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. […]
धनबाद: केरल के जाने-माने हिंदी विद्वान प्रो. वीपी कुंजू मेत्तर ने कहा है कि कम से कम अपने हिस्से की हिंदी तो लिखें. यह एक हजार साल पहले की भाषा है. इसने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया है. प्रो. कुंजू मेत्तर सोमवार को बीसीसीएल हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्हें विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था. प्रो. कुंजू मेत्तर को अध्यक्ष-सह- प्रबंध निदेशक टीके लाहिड़ी ने कोयला भारती सम्मान भी प्रदान किया.
हिंदी क्षेत्र के लोग ही उदासीन : प्रो. कुंजू मेत्तर के अनुसार- हिंदी क्षेत्र के लोग ही हिंदी के प्रति उदासीन हैं. यह बात वे अपने अनुभव के आधार पर भी कह सकते हैं. अपनी अरब यात्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा- वहां भी उन्हें हिंदी में बात करने वाले मिले. मेरा मानना है कि अनुवाद में भी मौलिक चिंतन का समावेश हो. हम सौ करोड़ लोगों की भाषा की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं.
फिल्मों से पूरे देश में पहुंची हिंदी : फिल्मों की वजह से हिंदी पूरे देश में पहुंची. हिंदी में शब्दों की दरिद्रता नहीं है. हमें अंग्रेजी की बैसाखी छोड़नी होगी. हिंदी से किसी को कोई बैर नहीं है. दक्षिण भारत के संबंध में यह धारणा बिल्कुल गलत है. इसका इस्तेमाल संपर्क भाषा के रूप में हो रहा है.
कौन-कौन मौजूद थे : सीएमएस सुभाष गुप्ता, महाप्रबंधक के मित्र, एके सिंह, बीसी मांझी, टी मंडल, आरएन प्रसाद, सोलोमन कुदादा, आरआर प्रसाद, संजय अग्रवाल.
आयोजन में सुदर्शन झा, दिलीप सिंह, दीपक सिन्हा, उदयवीर सिंह, रंजीत कुमार, नूतन दास, महेंद्र कुमार सिंह, श्याम नारायण सिंह, सुपर्णा हाजरा, लोकेश कुमार
क्षेत्रीय स्तर पर पुरस्कृत : लोदना प्रथम, कुसुण्डा द्वितीय, बस्ताकोला तृतीय
विभागीय स्तर पर पुरस्कृत : जनसंपर्क प्रथम, निदेशक कार्मिक सचिवालय द्वितीय, भू-संपदा को तृतीय पुरस्कार मिला.