आइ बैंक ने की छह जिंदगियां रोशन

अव्यवस्था के बीच पीएमसीएच के खाते में कई उपलब्धियां भी दर्ज मोहन गोप धनबाद : आये दिन अव्यवस्था के लिए सुर्खियां में रहने वाले पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा में सुधार की कवायद लगातार जारी है. नेत्र प्रत्यारोपण (आइ ट्रांस्प्लांटेशन) जैसे जटिल काम को अंजाम देकर पीएमसीएच के चिकित्सकों ने संस्थान का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2015 8:26 AM
अव्यवस्था के बीच पीएमसीएच के खाते में कई उपलब्धियां भी दर्ज
मोहन गोप
धनबाद : आये दिन अव्यवस्था के लिए सुर्खियां में रहने वाले पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा में सुधार की कवायद लगातार जारी है. नेत्र प्रत्यारोपण (आइ ट्रांस्प्लांटेशन) जैसे जटिल काम को अंजाम देकर पीएमसीएच के चिकित्सकों ने संस्थान का सिर राज्य भर में उठाया है. पीएमसीएच के आइ बैंक ने साल भर में छह लोगों की आंखों को रोशन कर उनके जीवन में खुशहाली ला दी है. सभी प्रत्यारोपण कामयाब रहे. पीएमसीएच के अधीक्षक सहित नेत्र चिकित्सकों को इसके लिए काफी सराहना भी मिली.
पीएमसीएस में 400 रजिस्ट्रेशन : डा सिन्हा ने बताया कि आइ बैंक में अब तक नेत्रदान को इच्छुक लगभग चार सौ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
यह संख्या गत वर्ष से लगभग दो गुनी है. आइ बैंक मरणोपरांत ऐसे लोगों से नेत्र संग्रह कर जरूरतमंदों में प्रत्यारोपित करेगा. बताया कि नेत्र लेने वाले भी लगभग एक सौ लोगों ने आवेदन दे रखे हैं.
विभाग मना रहा नेत्र दान पखवारा : स्वास्थ्य विभाग 28 अगस्त से 12 सितंबर तक नेत्र दान पखवारा मना रहा है. सरकार अधिकाधिक लोगों को नेत्र दान के लिए प्रोत्साहित करने की अपील कर रही है. नेत्र दान में रोटरी क्लब सहित कई संस्थाओं की भूमिका भी सराहनीय रहती है.
छह घंटे जीवित रहती हैं आंखें
डा सिन्हा ने बताया कि मरने के बाद व्यक्ति की आंखें छह घंटे तक जीवित रहती हैं. इसके बाद आंखों के टिश्यू नष्ट होने लगते हैं. इसलिए छह घंटे के अंदर मृत व्यक्ति के नेत्र आइ बैंक में लाना होता है. कई स्तर की जांच के बाद आइ बैंक में इसे नियत तापमान पर रखा जाता है. वह कहते हैं – हमारे पास तीन दिन तक नेत्र सुरक्षित रखने की क्षमता है. आगे इस क्षमता को बढ़ाना है.

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