ओजोन छिद्र पर कंट्रोल के लिए सजगता जरूरी

धनबाद. अोजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण को लेकर भारत सहित विश्व के 33 देश 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजन दिवस मना रहे हैं. राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अाह्वान पर विभाग के धनबाद क्षेत्रीय कार्यालय की आेर से भी एचई स्कूल में बुधवार को स्कूली बच्चों की वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी. क्या है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2015 7:03 AM
धनबाद. अोजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण को लेकर भारत सहित विश्व के 33 देश 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजन दिवस मना रहे हैं. राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अाह्वान पर विभाग के धनबाद क्षेत्रीय कार्यालय की आेर से भी एचई स्कूल में बुधवार को स्कूली बच्चों की वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी.
क्या है मांट्रियल प्रोटोकॉल : 16 सितंबर 1987 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियल शहर में भारत सहित 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिसे मांट्रियल प्रोटोकाल कहा जाता है.
क्या है ओजोन परत : राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि ओजोन गैस ऊपर वायुमंडल में अत्यंत पतली एवं पारदर्शी परत बनाते हैं. वायुमंडल में व्याप्त समस्त ओजोन का कुल 90 प्रतिशत भाग समताप मंडल में‍ पाया जाता है. वायुमंडल में ओजोन की प्रतिशतता अन्य गैस की तुलना में काफी कम है. रासायनिक रूप से इसकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. समताप मंडल में यह पृथ्वी को हानिकारक पराबैगनी विकिरण से बचाने का काम करती है. मानव जनित औद्योगिक प्रदूषण से क्षोभ मंडल में ओजोन की मात्रा बढ़ रही है, समताप मंडल में जहां इसकी आवश्यकता है वहां घट रही है. .
पराबैगनी किरणों का दुष्प्रभाव : त्वचा का कैंसर, मनुष्य व पशुओं की डीएन संरचना में बदलाव, आंखों में मोतियाबिंद, गर्भस्थ शिशु को अपूरणीय क्षति. औद्योगिक प्रदूषण से आेजोन परत को नुकसान, कीटनाशक के निर्माण से उत्सर्जित गैस, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवयवों की धुलाई व फ्रीज द्वारा उत्सर्जित गैस से.

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