फर्जी प्रमाणपत्रों के साथ दो अभ्यर्थी पकड़े गये

धनबाद: पहली से पांचवीं कक्षा (इंटर प्रशिक्षित) में नियुक्ति के लिए बुधवार को बीएसएस बालिका उच्च विद्यालय में काउंसेलिंग हुई. इसमें 918 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था, जिसमें 408 शामिल हुए. इस दौरान दो ऐसे अभ्यर्थी भी मिले, जो फर्जी प्रमाणपत्रों के साथ पहुंचे थे. इन दोनों से डीएसइ बांके बिहारी सिंह एवं काउंसेलिंग में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2015 8:14 AM
धनबाद: पहली से पांचवीं कक्षा (इंटर प्रशिक्षित) में नियुक्ति के लिए बुधवार को बीएसएस बालिका उच्च विद्यालय में काउंसेलिंग हुई. इसमें 918 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था, जिसमें 408 शामिल हुए. इस दौरान दो ऐसे अभ्यर्थी भी मिले, जो फर्जी प्रमाणपत्रों के साथ पहुंचे थे. इन दोनों से डीएसइ बांके बिहारी सिंह एवं काउंसेलिंग में लगे शिक्षकों ने काफी देर पूछताछ की. श्री सिंह ने बताया कि इस बार की नियुक्ति के डाटाबेस से जब पुराने नियुक्ति के डाटाबेस से मिलान किया गया तो अभ्यर्थियों द्वारा किये गये फरजीवाड़े का पता चला. इसके साथ ही गुप्त सूचना भी मिली थी. बुधवार को काउंसेलिंग के लिए वे ऐसे अभ्यर्थियों के इंतजार में ही थे. दोनों के प्रमाण-पत्रों को जब्त कर लिया गया है. हालांकि दोनों को छोड़ दिया गया.
पहला अभ्यर्थी : राजेश कुमार ने अलग-अलग जिलों में अलग-अलग प्रमाण-पत्रों के साथ आवेदन किया था. इससे पहले हुई शिक्षक नियुक्ति में धनबाद जिले के लिए जमा किये गये प्रमाणपत्र भी अलग थे. दोनों प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि भी अलग-अलग थी. दिल्ली उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से वर्ष 2004 में लिए मैट्रिक के प्रमाणपत्र में जन्मतिथि चार मार्च 1985 थी. इसी बोर्ड से इंटर का भी प्रमाण-पत्र है. जबकि झारखंड बोर्ड के प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि वर्ष 1975 है.
पारा शिक्षक भी थे : चतरा निवासी राजेश कुमार ने वास्तव में वर्ष 1991 में मैट्रिक परीक्षा दी थी, जिसमें मैट्रिक में 37 प्रतिशत अंक थे. इंटर में 51 प्रतिशत अंक मिले थे. जबकि नये प्रमाणपत्र में मैट्रिक के अंक 68 प्रतिशत थे. उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि मैट्रिक एवं परीक्षा में पहले बोर्ड अधिक अंक नहीं देता था, जबकि अब बहुत अंक मिलते हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय रतरुआ, पथरगढ़ा, चतरा में पारा शिक्षक भी रहे चुके हैं. परिवार में उनके दो बच्चे भी हैं.
झरिया से लिया प्रमाण-पत्र : राजेश कुमार ने बताया कि झरिया स्थित डॉ बीआर आंबेडकर वर्कर कॉलेज, मोहलबनी भौंरा, धनबाद में परीक्षा दी थी. संस्थान के शिक्षकों से संपर्क किया. मैट्रिक एवं इंटर परीक्षा/प्रमाणपत्र के एवज में आठ हजार रुपये का भुगतान किया था. इस तरह नये प्रमाणपत्रों में उम्र कम और अंक अधिक हो गये.
दूसरा अभ्यर्थी : वास्तविक नाम पुरुषोत्तम कुमार पांडेय है, लेकिन आलोक रंजन के नाम से प्रमाणपत्र बनवा कर नियुक्ति के लिए आवेदन किया गया था. प्रमाणपत्र में जन्मतिथि 25 अक्तूबर 1982 है. पूछताछ के क्रम सटीक जवाब नहीं मिलने पर काउंसेलिंग करने वाले शिक्षकों को शक हुआ. उन्होंने वास्तविक प्रमाणपत्र मांगे तो अभ्यर्थी ने सभी प्रमाणपत्र फर्जी होना स्वीकार कर लिया. वास्तव में पांडेय ने वर्ष 1986 में तृतीय श्रेणी से मैट्रिक व वर्ष 1988 में द्वितीय श्रेणी से इंटर किया था. जबकि बनवाये गये प्रमाणपत्र में मैट्रिक 1997 में प्रथम श्रेणी एवं 1999 में इंटर प्रथम श्रेणी दिखाया था.
गार्ड का काम करता है पुरुषोत्तम : जमशेदपुर के आदित्यपुर निवासी पांडेय गार्ड का काम करता है. उसने बताया कि केवल धनबाद जिले के लिए आवेदन किया था. सभी प्रमाणपत्र फर्जी रूप से तैयार किये गये थे. परिवार में उनकी चार बेटियां एवं एक बेटा है. उनकी वास्तविक जन्म तिथि 12 नवंबर 1973 है.

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