निगम सुधरे तो हालात बदले

धनबाद : धनबाद नगर निगम का गठन 2006 में हुआ. उम्मीद थी कि शहर तेजी से बदलाव की ओर अग्रसर होगा. मिलेनियम सिटी का सब्जबाग भी दिखाया गया, लेकिन कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतरी. लगभग एक दर्जन योजनाओं की डीपीआर बनाने में करोड़ों खर्च कर दिये गये. अब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2015 7:59 AM
धनबाद : धनबाद नगर निगम का गठन 2006 में हुआ. उम्मीद थी कि शहर तेजी से बदलाव की ओर अग्रसर होगा. मिलेनियम सिटी का सब्जबाग भी दिखाया गया, लेकिन कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतरी. लगभग एक दर्जन योजनाओं की डीपीआर बनाने में करोड़ों खर्च कर दिये गये.
अब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को ही लीजिये. डीपीआर बनाने में पांच साल लग गये. 2012 में ए टू जेड के साथ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का करार हुआ. मुश्किल से एक साल भी कंपनी टिक नहीं पायी और बीच में ही काम छोड़कर चली गयी. एक साल पहले तक शहर की स्थिति नारकीय बनी हुई थी. हालांकि नयी बोर्ड के आने के बाद व्यवस्था में कुछ सुधार हुआ. पहले की तुलना में नियमित सफाई हो रही है, लेकिन जनता की उम्मीद पर निगम खरा नहीं उतर पा रहा है.
खड़ी-खड़ी सड़ गयी कई सिटी बसें : निगम की महात्वकांक्षी योजना अरबन ट्रांसपोर्ट का बीच में ही बंटाधार हो गया. तामझाम के साथ वर्ष 2010 में 14 करोड़ की 70 सिटी बसों को उतारा गया. मुश्किल से 30-40 बसों का ही परिचालन हो पाया. कुछ दिनों तक भूतपूर्व कल्याण समिति की देखरेख में बसों का परिचालन हुअा. इसके बाद झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की देखरेख में बसें चली. चालक व जेटीडीसी के आपसी विवाद के कारण कभी भी बसों से सरकार को प्रोफिट नहीं हुआ. लगभग साल भर पहले नगर विकास ने जेटीडीसी से बसों काटेकओवर कर लिया. नगर निगम की नयी बोर्ड आने के बाद मेयर की पहल पर फिर से बसों का परिचालन कराया जा रहा है
सिवरेज एंड ड्रेनेज सिस्टम पर ग्रहण
नगर निगम के गठन के बाद सिवरेज एंड ड्रेनेज सिस्टम का प्लान आया. 265 करोड़ का बजट पास हुआ. दस साल में सिवरेज एंड ड्रेनेज की डीपीआर के नाम पर लूट होती रही. पिछले साल टाटा कंसल्टेंसी को डीपीआर का टेंडर मिला. सर्वे का काम पूरा हो गया, लेकिन जमीन को लेकर मामला लटका हुआ है.
मैथन जलापूर्ति ने बुझायी प्यास
जेएनएनयूआरएम की 365 करोड़ की महत्वकांक्षी योजना मैथन जलापूर्ति ही धरातल पर उतर पायी. पानी से जूझ रहे धनबादवासियों को राहत मिली. सिंदरी जलापूर्ति का काम लगभग पूरा हो गया है. कुछ लोगों को जलापूर्ति भी करायी जा रही है. लेकिन जामाडोबा जलापूर्ति का काम अब तक पूरा नहीं हुआ. कुछ क्षेत्र में एनओसी के कारण जलापूर्ति नहीं हो पा रही है. वासेपुर में जलमीनार बन कर तैयार है लेकिन रेलवे से एनओसी नहीं मिलने के कारण लाखों लोगों को पानी नहीं मिल पा रही है.
निगम की प्रस्तावित योजना
– 100 की चौड़ी होगी शहर की सड़कें
– आधुनिक होगा बस टर्मिनल
– निगम क्षेत्र में हर घर में होगा शौचालय – सबका होगा पक्का मकान
– हर गली व मुहल्ले में लगेगी एलइडी लाइट

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