ब्लड बैंक का नहीं कराया गया रिन्यूअल

धनबाद : एक ही काम को बार-बार करने व उस पर बेजा खर्च करने का नाम ही सरकारी कामकाज है. मामला सदर अस्पताल (कोर्ट मोड़) के ब्लड बैंक का है. ब्लड बैंक का इस वर्ष भी रिन्यूअल स्वास्थ विभाग ने नहीं कराया. जबकि सदर अस्पताल अगले वर्ष खुलने वाला है. अब ब्लड बैंक को फिर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2015 5:56 AM

धनबाद : एक ही काम को बार-बार करने व उस पर बेजा खर्च करने का नाम ही सरकारी कामकाज है. मामला सदर अस्पताल (कोर्ट मोड़) के ब्लड बैंक का है. ब्लड बैंक का इस वर्ष भी रिन्यूअल स्वास्थ विभाग ने नहीं कराया. जबकि सदर अस्पताल अगले वर्ष खुलने वाला है. अब ब्लड बैंक को फिर से लाइसेंस लेने के लिए विभाग आवेदन करेगा. दूसरी ओर, ब्लड बैंक के भवन में यूनियनों ने कार्यालय खोल दिया है.

ज्ञात हो कि 80 के दशक में सदर अस्पताल को पीएमसीएच से जोड़ दिया गया. लेकिन कोर्ट मोड़ में ब्लड बैंक चलता रहा. वर्ष 2013 में अॉर्थो व सर्जरी विभाग के पीएमसीएच जाते ही ब्लड बैंक में पूरी तरह से ताला लटक गया.

पीएमसीएच ने अलग से लिया लाइसेंस : सदर अस्पताल के ब्लड बैंक के कर्मियों से पीएमसीएच का ब्लड बैंक चलाना शुरू किया. इसके लिए पीएमसीएच ने अलग से लाइसेंस लिया. पीएमसीएच का ब्लड बैंक नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी (नाको) द्वारा संचालित है. जबकि कोर्ट मोड़ स्थिति ब्लड बैंक राज्य सरकार का अपना था. इस वर्ष भी ब्लड बैंक का रिन्यूअल नहीं किया गया. अब ब्लड बैंक के नाम पर यहां केवल बोर्ड ही बचा है.
रक्त के लिए होती है परेशानी: धनबाद में चार ब्लड बैंक हैं. इसमें एक सरकारी, एक बीबीसीएल व दो निजी है. ऐसे में जरूरतमंद लोगों को ब्लड के लिए काफी-दौड़ भाग करना पड़ता है. काफी पैरवी व चढ़ावे के बाद ब्लड मिल पाता है. इधर सदर अस्पताल का ब्लड बैंक होने से खासकर गरीब लोगों को काफी राहत मिलती थी.
इधर, अब अगले वर्ष सदर अस्पताल फंक्शनल होने के बाद फिर से विभाग लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा. ब्लड बैंक के लिए लगभग 50 लाख रुपये खर्च होंगे.

Next Article

Exit mobile version