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17 दिन में मिले टीबी के 70 नए मरीज मिले, अधिकांश कोलियरी क्षेत्र के

टीबी उन्मूलन को लेकर मरीजों की पहचान के लिए 10 जून से शुरू हुआ है सर्वे

वरीय संवाददाता, धनबाद.

ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देश पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे डोर टू डोर सर्वे अभियान में तेजी से टीबी से ग्रसित मरीजों की पहचान हो रही है. इसके लिए 10 जून को जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से डोर टू डोर सर्वे अभियान शुरू किया गया था. इन 17 दिनों में जिले के अलग-अलग जगहों में टीबी के 70 नए मरीज मिले हैं. जिला टीबी पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार ने टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ने पर चिंता जतायी है. उन्होंने बताया कि जनवरी से अबतक जिले में कुल 1800 मरीजों की पहचान हुई है. सभी मरीजों काे गाइडलाइन के अनुसार रजिस्ट्रेशन कर दवा व अन्य लाभ दिये जा रहे हैं.

मरीजों में कोलियारी क्षेत्र के रहने वाले ज्यादा :

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 10 जून से शुरू सर्वे में मिले 70 टीबी पॉजिटिव मरीजों में ज्यादातर कोलियरी क्षेत्र के रहने वाले हैं. 70 में से 39 मरीज धनबाद के विभिन्न कोलफिल्ड एरिया से संबंधित इलाकों के रहने वाले हैं. निरसा इसीएल क्षेत्र के 8, बीसीसीएल के केंदुआ क्षेत्र से 11, झरिया क्षेत्र से 16 व बाघमारा क्षेत्र के रहने वाले लोगों की हुई जांच में चार पॉजिटिव मिले हैं.

हवा के जरिये फैलता है यह रोग :

डॉ सुनील कुमार ने कहा कि टीबी (क्षयरोग) घातक संक्रामक रोग है, जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होता है. टीबी ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है. इसके अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है. यह रोग हवा से फैलता है. जब टीबी से ग्रसित मरीज खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लीआइ उत्पन्न होता है, जो हवा के जरिये किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. ये ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं. जब एक स्वस्थ व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई के संपर्क में आता है तो वह भी इससे संक्रमित हो सकता है.

टीबी (क्षयरोग) के लक्षण :

लगातार तीन हफ्तों से खांसी आना और आगे भी जारी रहना, खांसी के साथ खून का आना, छाती में दर्द और सांस फूलना, वजन कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना, शाम को बुखार आना और ठंड लगना, रात में पसीना आना आदि.

टीबी की रोकथाम के उपाय :

डॉ सुनील कुमार ने बताया कि टीबी रोग का उपचार जितनी जल्दी शुरू होगा, उतनी जल्दी रोग से मुक्ति मिलेगी. टीबी से संक्रमित मरीज को खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए और भीड़ वाली जगह पर या बाहर कहीं नहीं थूकना चाहिए. सफाई समेत कुछ बातों का ध्यान रखने से भी टीबी के संक्रमण से बचा जा सकता है. ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैटयुक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. अगर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो टीबी से काफी हद तक बचा जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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