निगम के खाते में 80 करोड़ और काम कुछ नहीं

धनबाद: 27 जून 2010 को नगर निगम बोर्ड का गठन हुआ. मेयर, डिप्टी मेयर व 55 पार्षदों ने जनता के हित में काम करने की शपथ ली. साढ़े तीन साल बीत गये लेकिन निगम के खाते में कुछ खास उपलब्धि नहीं रही. बल्कि एक काम हुआ, साढ़े तीन साल में छह प्रशासक जरूर बदले गये. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2013 9:48 AM

धनबाद: 27 जून 2010 को नगर निगम बोर्ड का गठन हुआ. मेयर, डिप्टी मेयर व 55 पार्षदों ने जनता के हित में काम करने की शपथ ली. साढ़े तीन साल बीत गये लेकिन निगम के खाते में कुछ खास उपलब्धि नहीं रही. बल्कि एक काम हुआ, साढ़े तीन साल में छह प्रशासक जरूर बदले गये. ऐसी बात नहीं कि निगम में फंड की कमी है. निगम के खाते में 80 करोड़ रुपया पड़ा हुआ है. इसके बावजूद विकास नहीं हो रहा है. निगम की गति इतनी धीमी है कि वर्ष 2010-11 में आवंटित राशि भी खर्च नहीं हुई. नागरिक सुविधा मद में एक करोड़ 13 लाख 52 हजार, नाली मद में 42 लाख 21 हजार व रोड मद में 1 करोड़ 99 लाख एक हजार रुपया पड़ा हुआ है. 12-13 में 31 करोड़ 31 लाख व व 13-14 में 20 करोड़ 72 लाख रुपया आवंटित है. अब तक विभिन्न मद में 80 करोड़ रुपया निगम के पास पड़ा हुआ है.

कमीशन के चक्कर में फंसती हैं योजनाएं
पार्षद निर्मल मुखर्जी ने कहा कि निगम के पास फंड की कमी नहीं है. लेकिन कमीशन के चक्कर में योजनाएं फंसती चली जाती है. इस संबंध में मुख्य सचिव, नगर विकास सचिव व उपायुक्त को पत्र लिखा गया है.

इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी : डिप्टी सीइओ
डिप्टी सीइओ सिद्धार्थ शंकर चौधरी ने कहा कि निगम के पास फंड की कमी नहीं है. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण योजनाएं धरातल पर नहीं उतरती. इंजीनियरिंग सेल काफी कमजोर है. स्थायी प्रशासक नहीं होने के कारण भी योजनाएं धरातल पर नहीं उतरती. हालांकि 13 वें वित्त आयोग को प्रशासनिक स्वीकृति मिल गयी है. जल्द ही 12 करोड़ 44 लाख का टेंडर निकाला जायेगा.

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