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22.88 करोड़ की लूट !

धनबाद : बीसीसीएल कुसुंडा एरिया के एक ट्रांसपोर्टिंग कार्य में 22,88,00,000 रुपये की गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. ट्रांसपोर्टिंग कार्य में लगी मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को एनआइटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) से करीब 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर टेंडर आवंटित किया गया है, जबकि उसी एरिया में उसी एनआइटी का टेंडर मेसर्स […]

धनबाद : बीसीसीएल कुसुंडा एरिया के एक ट्रांसपोर्टिंग कार्य में 22,88,00,000 रुपये की गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. ट्रांसपोर्टिंग कार्य में लगी मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को एनआइटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) से करीब 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर टेंडर आवंटित किया गया है, जबकि उसी एरिया में उसी एनआइटी का टेंडर मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को मात्र दो प्रतिशत हाई रेट पर आवंटित किया गया है.

दोनों टेंडरों की तुलना करें तो बीसीसीएल को करीब 22 करोड़ 88 लाख का नुकसान होता दिख रहा है. बीसीसीएल के इतिहास में किसी भी ट्रांसपोर्टिंग कार्य का टेंडर इतनी हाई रेट पर आज तक आवंटित नहीं किया गया है. बताते हैं कि बीसीसीएल के ट्रांसपोर्टिंग कार्य का टेंडर हमेशा डिस्काउंट बिड पर ही फाइलन हुआ है, जबकि कुसुंडा एरिया की इस ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर फाइनल हुआ है.

सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर बीसीसीएल ने 113,14,08,520 रुपये का ट्रांसपोर्टिंग कार्य मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को एनआइटी से 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर कैसे आवंटित कर दिया? वह भी बिना कोयला क्रशिंग के ही.

वहीं सेम ट्रांसपोर्टिंग का कार्य मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को एनआइटी से मात्र दो प्रतिशत हाई रेट पर दिया गया है,

वह भी कोयला क्रशिंग के साथ. आखिर बीसीसीएल ने मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को बिना कोयला क्रशिंग के ही ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर कैसे आवंटित कर दिया? आखिर बीसीसीएल ने इस कार्य में कोयला मंत्रालय व कोल इंडिया के निर्देशों का पालन करना क्यों जरूरी नहीं समझा?

लीड में भी हेराफेरी : सीएमसी विभाग द्वारा कुसुंडा एरिया में कोयला की ट्रांसपोर्टिंग के लिए एनआइटी नंबर (बीसीसीएल/सीएमसी/फ-ई-एनआइटी/ट्रांसपोर्टेशन -12/2015/424) के तहत 31 मार्च, 2015 को 113,14,08,520 रुपये का टेंडर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को एनआइटी रेट से 28.5 प्रतिशत हाइ रेट पर आवंटित किया गया है. कंपनी को कुसुंडा एरिया क्षेत्र में ही सात से आठ किलो मीटर के लीड में 34,094,000 (एमटी) कोयला की ट्रांसपोर्टिंग तीन वर्ष (1095 दिन) में करनी है. कोयला बिना क्रशिंग के ही रेलवे साइडिंग तक पहुंचाना है.
यह कोयला मंत्रालय व कोल इंडिया की गाइड लाइन व निर्देशों के खिलाफ है. वहीं उसी एरिया में सीएमसी विभाग ने एनआइटी नंबर 13/2015/ 847 के तहत एक नवंबर 2015 को 69,58,00,208 रुपये का टेंडर मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को एनआइटी रेट से दो प्रतिशत हाई रेट पर आवंटित किया.
" 22.88 करोड़…
इस कंपनी को तीन से चार किलोमीटर के लीड में ही कुसुंडा, बस्ताकोला व लोदना रेलवे साइडिंग तक 35,860,440 एमटी कोयला की ट्रांसपोर्टिंग चार वर्ष में करनी है. ट्रांसपोर्टिंग कंपनी को कोयला क्रश करने के बाद ही रेलवे साइडिंग तक पहुंचाना है.
अब सवाल यह उठ रहा है बीसीसीएल एक ओर जहां मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स ट्रांसपोर्टिंग कंपनी को कुसुंडा एरिया क्षेत्र के ही साइडिंग में ट्रांसपोर्टिंग के लिए 7 से 8 किमी का लीड दे रही है, वहीं मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को 3-4 किमी के लीड में कुसुंडा के साथ-साथ बस्ताकोला व लोदन साइडिंग में भी ट्रांसपोर्टिंग करनी है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या 3-4 किमी के लीड में बस्ताकोला व लोदना से कोयला की ट्रांसपोर्टिंग संभव है? क्या कुसुंडा एरिया क्षेत्र में कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने के लिए 7-8 किमी की लीड की आवश्यकता है.
उत्पादन से अधिक कोयला की ट्रांसपोर्टिंग कैसे?
एनआइटी (बीसीसीएल/सीएमसी/फ-ई-एनआइटी/ट्रांसपोर्टेशन -12/2015/424) के मुताबिक मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को कुसुंडा एरिया द्वारा उत्पादित 34,094,000 (एमटी) कोयला की ट्रांसपोर्टिंग एरिया के अंतर्गत आने वाली रेलवे साइडिंग में विभिन्न रेट पर तीन वर्षों (1095 दिन) तक करनी है. वहीं मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को भी सेम एरिया से उत्पादित 35,860,440 एमटी कोयला की ट्रांसपोर्टिंग चार वर्ष (1460 दिन) करनी है.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कुसुंडा एरिया का मासिक उत्पादन लक्ष्य करीब 420000 लाख टन है. इस हिसाब से कुसुंडा एरिया का तीन वर्ष में उत्पादन 15,120,000 एमटी के करीब है. कुसुंडा एरिया से प्रत्येक वर्ष करीब 20 लाख टन कोयला एमपीएल व तीन लाख टन कोयला रोड सेल के माध्मय से चल जाता है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर उत्पादन से अधिक कोयला की ट्रांसपोर्टिंग कैसे?
एनआइटी में भी छेड़-छाड़ :
एनआइटी के मुताबिक मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को तीन-चार किलोमीटर के लीड में कुसुंडा एरिया के विभिन्न सोर्स से केडीएस-की साइडिंग में कोयला की ट्रांसपोर्टिंग करनी थी. एनआइटी के मुताबित कोयला की ट्रांसपोर्टिंग बस्ताकोला व लोदना साइडिंग में नहीं करना थी, लेकिन एनआइटी में छेड़-छाड़ कर उसे जोड़ दिया गया. आखिर स्वीकृति पत्र (एलओए) में एमेंड करके किसी अधिकारी के आदेश पर बस्ताकोला व लोदना को जोड़ दिया गया.
इस को लेकर बीसीसीएल के सीएमसी विभाग पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या 3-4 किलोमीटर के लीड में लोदना व बस्ताकोला तक ट्रांसपोर्टिंग हो सकती है? आखिर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को कुसुंडा एरिया क्षेत्र में ही ट्रांसपोर्टिंग के लिए 7-8 किलोमीटर की लीड कैसे दी जा रही है?
42 प्रतिशत हाइ रेट पर आवंटित हुआ टेंडर
वर्ष 2015-16 के दौरान नंबर 2015 में बीसीसीएल के सीवी एरिया के लिए मेसर्स एटी-बीडीएस-एसपीएस (जेवी) व मेसर्स बीटीस-वीटीसी (जेवी) को एनआइटी रेट से क्रमश: 15 व 17 प्रतिशत कम (बिलो) रेट पर ट्रांसपोर्टिंग (कोयला क्रशिंग के साथ) का कार्य आवंटित किया गया.
आवंटित दोनों ट्रांसपोर्टिंग टेंडरों की तुलना अगर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी से करें तो बीसीसीएल प्रबंधन ने एनआइटी रेट से करीब 42 प्रतिशत हाइ रेट पर कार्य आवंटित किया गया है, जिससे कंपनी को करीब 38 करोड़ का नुकसान होता दिख रहा है.

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