मिर्च से बढ़ी मिठास

नीरज अंबष्ट धनबाद : मिर्च रवींद्र कुमार सिंह चौधरी के जीवन में मिठास घोल रही है. धनबाद के तोपचांची प्रखंड के चलमुंडरी गांव के रवींद्र ने कभी सोचा भी न था कि मिर्च की खेती इतना बड़ा बदलाव लायेगी. इसके पहले उन्होंने कई धंधों में हाथ आजमाये. एक समय वह गंभीर आर्थिक संकट से जूझ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2016 8:41 AM

नीरज अंबष्ट

धनबाद : मिर्च रवींद्र कुमार सिंह चौधरी के जीवन में मिठास घोल रही है. धनबाद के तोपचांची प्रखंड के चलमुंडरी गांव के रवींद्र ने कभी सोचा भी न था कि मिर्च की खेती इतना बड़ा बदलाव लायेगी. इसके पहले उन्होंने कई धंधों में हाथ आजमाये. एक समय वह गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. लेकिन आज उनके पास जरूरत के सभी सामान हैं. वह अपने बच्चों (एक पुत्र और एक पुत्री) को अच्छी तालीम दे रहे हैं. इलाके में आज उनकी पहचान है. आस-पास के गांव में वह प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. चौधरी आज अपनी डेढ़ एकड़ जमीन पर मिर्च की खेती कर अच्छी खासी रकम कमा रहे हैं.

देखे कई उतार-चढ़ाव रवींद्र ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार योजना से लोन लेकर उन्होंने ट्रेकर निकाला था. खुद ट्रेकर चलाते थे और जो कमाई होती थी उससे परिवार का भरण पोषण करते थे.

लेकिन गाड़ी का व्यवसाय उन्हें रास नहीं आया और उन्होंने यह काम छोड़ दिया. उसके बाद उन्होंने पोल्ट्री फॉर्म खोला. अक्तूबर 2014 में अचानक बीमारी से सभी मुर्गी एक ही रात में मर गयी और लाखों रुपये का नुकसान हो गया. उसके बाद उनकी कमर ही टूट गयी. आगे क्या करें, यह बड़ा सवाल था. इसी दौरान उनकी मुलाकात कृषि विशेषज्ञ झगराही निवासी प्रदीप पांडेय से हुई. उन्होंने आधुनिक खेती के तौर–तरीके को विस्तार से बताया और खेती के लिए प्रेरित किया.

जहां चाह, वहां राह : रवींद्र ने खेती शुरू की. सिंचाई का साधन नहीं रहने के कारण बंद पड़े पत्थर खदान में जमा पानी को टुलू पंप के सहारे खेतों तक लाकर पटवन का काम करते थे. फिर उस गड्ढे को और गहरा कर उसमें पानी जमा किया. खेती अच्छी होने पर डीप बोरिंग से सिंचाई की जाने लगी. शुरुआत में उन्होंने अपनी पौने एकड़ जमीन पर सब्जी की खेती शुरू की. मौसम के अनुरूप करेला, लौकी, तरबूज, नेनुआ, खीरा, मिर्च की खेती शुरू की और अच्छी कमाई होने लगी.

अच्छी फसल, अच्छी कमाई : चौधरी ने बताया कि 2015 जून में उन्होंने मिर्च की खेती शुरू की. पहले 35 डिसमिल जमीन पर मिर्च लगायी, अगस्त माह से फसल होने लगी. अगस्त 15 से लेकर मार्च 16 तक वह लगभग 96 क्विंटल मिर्च बेच चुके हैं, जिससे आमदनी अच्छी हुई.

खेती से संवारें जिंदगी : चौधरी कहते हैं कि वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो आजीविका के लिए ग्रामीणों को भटकना नहीं पड़ेगा. खेती में नुकसान नहीं के बराबर है. आज मैं खेती करके अपनी जिंदगी को संवार रहा हूं. यदि सभी किसान आधुनिक तरीके से खेती करें, तो उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी. बेशक किसानों को नयी तकनीक की जानकारी होना जरूरी है.

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