साहित्य से भी हो सकता है भला

धनबाद: लेखन के प्रति मेरे अंदर जुनून है. जैसे प्रेम में कोई भी बाधा आड़े नहीं आती, उसी तरह मेरे लेखन के आगे कोई बाधा आड़े नहीं आती. इसलिए तमाम परेशानियों, व्यस्तताओं के बावजूद लेखन जारी है. आज भाग-दौड़ के जीवन में रचनात्मकता के बारे में कोई नहीं सोचता. सब अर्थ के पीछे भागने मे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2013 10:42 AM

धनबाद: लेखन के प्रति मेरे अंदर जुनून है. जैसे प्रेम में कोई भी बाधा आड़े नहीं आती, उसी तरह मेरे लेखन के आगे कोई बाधा आड़े नहीं आती. इसलिए तमाम परेशानियों, व्यस्तताओं के बावजूद लेखन जारी है.

आज भाग-दौड़ के जीवन में रचनात्मकता के बारे में कोई नहीं सोचता. सब अर्थ के पीछे भागने मे व्यस्त हैं. कम लोग हैं जो दूसरों के लिए सोचते हैं. साहित्य से भी भला हो सकता है. मैं हमेशा कुछ ऐसा करने के लिए सोचते रहता हूं कि लोग मुङो याद रख सकें. रचनात्मकता से समाज प्रभावित होता है. कौन कहता है कि नहीं होता है.

दिल्ली मे केजरीवाल ने दृढ़ संकल्प कर लिया कि चुनाव जीतना है तो कर दिखाया. हर आदमी भगवान हो सकता है. साईं, मदर टेरेसा भगवान हो गये. बस यह हर इनसान सोचे कि वह सिर्फ अपने लिए इस धरती पर नहीं आया. कुछ करने आया है.

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