वेतन समझौता. जेबीसीसीआइ गठन में प्रतिनिधित्व को लेकर पेच

इंटक के तीन गुट से कोल मंत्रालय असमंजस में धनबाद : इंटक के तीन गुटों द्वारा जेबीसीसीआइ में प्रतिनिधित्व को लेकर किये गये दावे से कोयला मंत्रालय असमंजस में पड़ गया है. कोयला मजदूरों के दसवें वेतन समझौता के लिए जेबीसीसीआइ के गठन की प्रक्रिया शुरू है. प्रतिनिधित्व के लिए इंटक के रेड्डी, ददइ दुबे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2016 3:28 AM

इंटक के तीन गुट से कोल मंत्रालय असमंजस में

धनबाद : इंटक के तीन गुटों द्वारा जेबीसीसीआइ में प्रतिनिधित्व को लेकर किये गये दावे से कोयला मंत्रालय असमंजस में पड़ गया है. कोयला मजदूरों के दसवें वेतन समझौता के लिए जेबीसीसीआइ के गठन की प्रक्रिया शुरू है. प्रतिनिधित्व के लिए इंटक के रेड्डी, ददइ दुबे और तिवारी गुट में घमसान मचा हुआ है.
कोयला मंत्रालय के समक्ष सबसे यक्ष प्रश्न यह है कि किस गुट को प्रतिनिधित्व दे. यही नहीं इंटक के घमसान को देखते हुए यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या बगैर इंटक के ही जेबीसीसीआइ का गठन होगा? इधर, राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के महामंत्री ललन चौबे, संजीवा रेड्डी के सहारे जेबीसीसीआइ में जाने के जुगाड़ में है.
क्या है पूरा मामला : इंटक में तीन गुट सक्रिय हैं. तीनों अपने आप को असली गुट होने का दावा करते हैं. नौवें जेबीसीसीआइ में रेड्डी गुट को चार एवं ददई दुबे गुट को दो की संख्या में प्रतिनिधित्व मिला था. लेकिन दुबे गुट ने बहिष्कार कर दिया था. इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री महाबल मिश्र के नेतृत्व वाला तिवारी गुट ने भी दावा ठोका है.
इस गुट के महामंत्री केके तिवारी ने कहा कि निचली अदालत ने मेरे हक में फैसला दिया है. इसके खिलाफ रेड्डी दिल्ली हाइकोर्ट गये हैं. नौवें जेबीसीसीआइ में साजिश कर हमें बाहर रखा गया था. लेकिन इस बार वैसा नहीं होगा. हमने कोयला मंत्री को सच्चाई से अवगत करा दिया है.
ददई गुट इंटक के राष्ट्रीय महासचिव एनजी अरुण कहते हैं कि पूरा प्रतिनिधित्व हमें मिलना चाहिए. अगर नहीं मिलेगा तो जेबीसीसीआइ गठन का मामला फंस जायेगा. अरुण इस संभावना से इनकार नहीं करते कि बगैर इंटक का जेबीसीसीआइ का गठन हो सकता है. वहीं ललन चौबे ने कहा कि हमने रेड्डी साहब के समक्ष अपना क्लेम कर दिया है. लिखित दिया है. आरसीएमएस का महामंत्री हूं. हमारे दावे को अनदेखी नहीं की जा सकती. श्री चौबे भी मानते हैं कि जो परिस्थिति है उसमें सरकार बगैर इंटक का भी गठन कर सकती है.
क्या है हकीकत
नौवें जेबीसीसीआइ बोर्ड के गठन के पूर्व भी इसी तरह इंटक का विवाद उठा था. तब ददई दुबे और रेड्डी गुट आमने-सामने थे. गठन में हो रहे विलंब को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बगैर इंटक का ही जेबीसीसीआइ गठन करने का आदेश दे दिया था. तब फिर कांग्रेस के बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद रेड्डी गुट को चार और दुबे गुट को दो प्रतिनिधित्व देते हुए नौवां जेबीसीसीआइ बोर्ड का गठन हुआ था
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कोयला मंत्रालय का संकट
इंटक के विवाद के कारण 2011 में यूनियन सदस्यता सत्यापन अभी तक नहीं सका है. तीनों गुटों ने सदस्यता सत्यापन के लिए आवेदन जमा किया. मुख्य श्रमायुक्त ने नियमानुसार आवेदन नहीं रहने के कारण दुबे गुट के आवेदन के रिजेक्ट कर दिया. इसके खिलाफ दुबे गुट ने अदालत की शरण ली.

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