मूकदर्शक बना है सतर्कता विभाग

सीइसी की बैठक . सीएमओएआइ बीसीसीएल शाखा के अध्यक्ष ने कहा बीसीसीएल का सतर्कता विभाग मूकदर्शक बना हुआ है. भ्रष्टाचार व अन्य मामले प्रकाश में आने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं होती है. यह आरोप कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमओएआइ) बीसीसीएल शाखा के अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय ने लगाया. धनबाद : श्री पांडेय मंगलवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2016 4:32 AM

सीइसी की बैठक . सीएमओएआइ बीसीसीएल शाखा के अध्यक्ष ने कहा

बीसीसीएल का सतर्कता विभाग मूकदर्शक बना हुआ है. भ्रष्टाचार व अन्य मामले प्रकाश में आने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं होती है. यह आरोप कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमओएआइ) बीसीसीएल शाखा के अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय ने लगाया.
धनबाद : श्री पांडेय मंगलवार को कोयला नगर सामुदायिक केंद्र में सीइसी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. कहा कि कई एरिया में 20 वर्षों से अधिक समय से एक ही अधिकारी संवेदनशील पर जमे हैं. उन्हाेंने कहा कि बीसीसीएल के 70 प्रतिशत आवास रहने लायक नहीं है.
अधिकार के लिए आंदोलन की जरूरत : सीएमओएआइ के महासचिव भवानी बंद्योपाध्याय ने कहा कि अधिकार के लिए हमें आंदोलन करने की जरूरत है. कहा कि कैबिनेट ने 14 अक्तूबर 2015 को ही पीआरपी देने का निर्देश दिया था. आज तक इसका पूरा भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने कंपनी से बर्खास्त व ऐसे अधिकारी जिन्हें किसी प्रकार की चेतावनी दी गयी है, उन्हें इससे वंचित रखने के कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक के आदेश को अनुचित बताया.
न्यू पेंशन स्कीम लागू करने की मांग : बैठक में न्यू पेंशन स्कीम, वेतन विसंगति, कोर्ट के बहाने रुके अधिकारियों को पदोन्नति देने समेत अन्य मांगों को लागू करने की मांग की. बैठक में आरके सेठ, एके सिंह, डॉ डीके सिंह, अखिलेश कुमार, एके झा, संजीव कश्यप, आरएस चौधरी, सुनील कुमार, सीएन महतो, अमित सिन्हा, पीके श्रीवास्तव, रफी लाल, तुषार सिंह आदि थे. एपैक्श कमेटी के यू दास व संजय सिंह भी शामिल थे.
धनबाद : आवास खाली होने के बावजूद आवास आवंटन के लिए कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. जूनियर अधिकारियों को आवास आवंटित नहीं किया जाता. अतत: खाली आवास पर अवैध कब्जा हो जाता है. उक्त बातें बैठक में कतरास एरिया के ई-3 ग्रेड के अधिकारी दीपक कुमार ने कही. कहा कि रेंट पर रहने के बावजूद जूनियर अधिकारियों को एचआरए नहीं दिया जाता. डीएवी में नामांकन में भी बीसीसीएल के वरीय अधिकारियों की बात प्राचार्य नहीं सुनते.

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